- रफी मोहम्मद शेख
इंदौरा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एडमिशन के मामले में दो मोड ऑनलाइन और ऑफलाइन शुरू करने के बाद पिछले तीन साल से नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। नए नियम-कानून, सख्ती और नई पेचीदगियों का सामना हमेशा ऑनलाइन एडमिशन देने वाले कॉलेजों को ही करना पड़ता है। ऑफलाइन वाले कॉलेज फायदे में रहते हैं। इनमें एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को न रजिस्ट्रेशन का झंझट रहता है, न ऑनलाइन फीस जमा कराने की समस्या। ये अंतिम समय तक एडमिशन दे सकते हैं। प्रदेश में 70 से ज्यादा कॉलेज ऑफलाइन एडमिशन देने के लिए पात्र हैं। ये दर्जा अल्पसंख्यक संस्थाओं को ही मिलता है। इससे गवर्नमेंट व अन्य प्राइवेट कॉलेज पूरी तरह बाहर हैं। इंदौर में इन कॉलेजों की संख्या 40 से ज्यादा है।
तीन दिन का अतिरिक्त समय
उच्च शिक्षा विभाग ने एडमिशन की तारीख एक बार फिर बढ़ाते हुए 28 अगस्त कर दी है। 31 अगस्त तक फीस जमा करने का काम होगा। ये निर्देश ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों के लिए हैं, लेकिन नियमों का पालन केवल ऑनलाइन कॉलेजों के लिए होगा। वहां 28 तक ही एडमिशन होंगे, लेकिन ऑफलाइन कॉलेजों को अलग से तीन दिन भी एडमिशन देने की पात्रता होगी। इसके पीछे का कारण रजिस्ट्रेशन और लिस्ट का प्रकाशन है। ऑनलाइन कॉलेजों को 28 तक एडमिशन की लिस्ट प्रकाशित करनी होगी, जबकि इसके बाद विद्यार्थी केवल फीस भर पाएंगे। ये प्रक्रिया कॉलेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) की है और इसमें विद्यार्थी का पूर्व रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
उधर, ऑफलाइन कॉलेजों में विद्यार्थी के रजिस्ट्रेशन का झंझट ही नहीं है। वहां रजिस्ट्रेशन सीधे पोर्टल पर ही होता है, जिसमें एडमिशन के बाद ही रजिस्ट्रेशन होता है। इसके साथ ही जब तक पोर्टल पर इंट्री की तारीख होती है, तब तक ये कॉलेज एडमिशन देते हैं। केवल फीस की रसीद पुरानी तारीख में काटते हैं। ऑनलाइन कॉलेज ऐसा कतई नहीं कर पाते हैं। ऐसी सुविधा पिछले सालों में आॅफलाइन कॉलेज बखूबी उठा रहे हैं।
दो गुना से ज्यादा बढ़ गए
दो साल पहले उच्च शिक्षा विभाग ने ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रक्रिया को एक समान ऑनलाइन करने की पहल की थी, लेकिन उसे कोर्ट से राहत नहीं मिली। धीरे-धीरे अधिकांश प्राइवेट कॉलेजों ने अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर लिया और ऑफलाइन एडमिशन की पात्रता प्राप्त कर ली। तीन साल पहले ऐसे कॉलेजों की संख्या 31 थी, जो अब बढ़कर दो गुना से ज्यादा 72 हो चुकी है।ऑनलाइनकॉलेज सभी के लिए समान प्रक्रिया की मांग करते रहे हैं लेकिन विभाग ऐसा नहीं कर पाया है।
खत्म होना चाहिए यह
ऑफलाइन और ऑनलाइन का झंझट ही खत्म होना चाहिए। उच्च शिक्षा विभाग ने एडमिशन प्रक्रिया को मजाक बनाते हुए हमेशा से ऑफलाइन कॉलेजों को फायदा पहुंचाया है।
-डॉ. सचिन शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, एबीवीपी