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बस, दो मिनट और छोटे परिवार ने बदल दिया हिंदुस्तान के खाने का मिजाज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 9 2017 11:28AM | Updated Date: Jul 9 2017 11:28AM
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दैनिक दबंग दुनिया के स्टेट एडिटर पंकज मुकाती

दादी, नानी भी घर में आटे के नूडल्स बनाकर हमें खिलाती रहीं हैं। इसे नूडल्स नहीं देसी सेवई कहा जाता रहा। तब इसे घर में बच्चे भी बहुत पसंद नहीं करते थे। पर ब्रांड बनने और विज्ञापन से यही दादी वाला नुस्खा सबका खास हो गया। आजकल बस, दो मिनट और हो गया तैयार, की धूम है। बच्चे तो इसके दीवाने है ही, अब ये बड़ों का भी पसंदीदा है। मैगी आज भारत का सबसे ज्यादा बिकने वाला इंस्टेंट फूड है। दाल-रोटी, दाल-चावल, पूड़ी-भाजी, हलवा-पकोड़ी, आलू पराठा-दही, छोले-टिकिया,कुलचा, भटूरा जैसा भारी नाश्ते के आदि और शौकीन देश में दो मिनट मैगी की सफलता भी रिसर्च का विषय है। संभवत: इसके पीछे स्वाद से ज्यादा जल्दी बनना, कम मेहनत लगना भी एक कारण है। साथ ही परिवार का दो लोगों में सिमट जाना भी मैगी की सफलता का रास्ता खोलता है। पति-पत्नी फिल्म देखकर लौटे कब खाने में क्या बनाए- मैगी ठीक रहेगी। शायद इसीलिए मैगी ने अपने शुरूवाती विज्ञापन कामकाजी महिलाओं पर केंद्रित करके बनाये कि आॅफिस की जल्दबाजी में दो मिनट का नाश्ता सही है। मैगी आज नूडल्स में सबसे बड़ा ब्रांड है। पर नूडल्स का अविष्कार मैगी ने नहीं किया है। इंस्टेंट नूडल्स पहली बार जापान की निसिन फूड्स कंपनी लाई। ये उन्होंने किया 1958, जिस तरह से जापान सबसे पहले इंस्टेंट कॉफी बनाने के बावजूद पिछड़ गया, वैसे ही वो नूडल्स में भी मात खा गया। 

भारत आने में उसने बड़ी देर कर दी
तब तक मैगी ने बाजार पर अधिकार कर लिया। मैगी भारत में पहले आया और नंबर एक ब्रांड बन गया। मैगी की कहानी रोचक है, 19 वीं सदी में औद्योगिक क्रांति के के स्विट्जरलैंड में बड़ी संख्या में महिलाएं कारखानों में काम करने लगी। इन महिलाओं के पास खाने का बहुत वक्त नहीं होता था. इससे निपटने के लिए वेलफेयर सोसाइटी की जूलियस मैगी से सब्जियों वाला ऐसा फूड प्रोडक्ट बनाने को कहा गया जो फटाफट बन जाये। जूलियस ने 1883 में तीन फॉर्मूले बनाए। यहीं से मैगी ब्रांड शुरू हुआ 1947 में नेस्ले ग्रुप ने इसे शामिल कर लिया।
 
भारत में 1982 में नूडल्स बाजार में आए। दाल-रोटी वाले देश में ये विदेशी फटाफट फूड बड़ा मुश्किल था। इसे सेहत के लिए भी ठीक नहीं माना गया। इससे निपटने के लिए मैगी ने बाद में आटा-दाल-चावल के नूडल्स बनाकर सेहत का संदेश दिया। लेकिन जितना लोकप्रिय इसका मसाला ब्रांड है उसकी टक्कर का कोई प्रोडक्ट नहीं। दुनिया में मैगी का कामकाजी महिलाओं वाला विज्ञापन हिट रहा पर भारत के लिहाज से फ्लॉप रहा। जब महिलाओं के मामले में रिस्पांस नहीं मिला तो कंपनी ने बच्चो को टारगेट किया। बच्चे ही नूडल्स के सबसे बड़े दीवाने होते है, और ये दीवानगी मैगी के काम आई। सबसे ज्यादा हिट विज्ञापन रहा-‘ मम्मी भूख लगी है’ और मम्मी कहती है-‘बस दो मिनट।’ मैगी के सालाना बिक्री लगभग 250 करोड़ रुपए सालाना हैं - 

मैगी प्रोडक्ट - 
- टोमॅटो कैचप, सूप, पास्ता, भुना मसाला, कोकोनट मिल्क आदि।
- संसार में मैगी नूडल्स का सबसे बड़ा बाजार भारत है। 
- मैगी लाया गया था कामकाजी महिलाओं के लिए और लोकप्रिय हुआ बच्चों में।

कुछ विवाद भी 
भारत में मैगी को लेकर हमेशा से विवाद रहा है, इसे कुछ लोग सेहत के लिए ठीक नहीं मानते। पिछले साल कई राज्यों में इसके सैंपल फैल हुए, इसके बाद इसपर रोक भी लगी। फिर रोक हट गई है। मैगी अभी बाजार में है।
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