जी.एस. यादव-
इंदौर। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा बस बॉडी निर्माण और स्पीड गवर्नर को लेकर बनाए नए नियमों का पालन कराने में आरटीओ को पसीने छूट रहे हैं। सरकार के आदेश पर तीस जून तक कार्य पूरा होना था, अब चार माह और लगने की बात कही है। नई नीति के तहत बस बनाते वक्त निर्माण कम्पनियों को स्पीड गवर्नर लगाकर देना ही होगा, अन्यथा परमिट न देते हुए अमान्य कर दिया जाएगा।
2015 मॉडल वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है। जो बसें 2015 से पहले की हैं, उन्हें 2018 के बाद स्पीड गवर्नर लगाना होगा। परिवहन विभाग अभी 40 फीसदी वाहनों में स्पीड गवर्नर लगवा चुका है, शेष के लिए चार माह का समय है। हालांकि, शत प्रतिशत स्कूली बसों में स्पीड गवर्नर लग चुके हैं। नए नियमों में बसों के निर्माण में तय स्टैंडर्ड्स के अनुसार सामान लगाना होगा। सीट का कपड़ा, साइज, स्क्रू से लेकर चद्दर तक के मापदंड तय किए हैं, जिसमें गड़बड़ी अपराध की श्रेणी में मानी जाएगी।
स्पीड गवर्नर डीलरों को नोटिस एफआईआर की चेतावनी
शहर में संचालित वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने को लेकर परिवहन अधिकारी ने औचक निरीक्षण किया। पड़ताल में पाया कि स्पीड गवर्नर लगाने में लापरवाही बरती जा रही है। इस पर आरटीओ ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा और एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी है। परिवहन विभाग ने इंदौर से संचालित बसों और अन्य वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के कार्य को गति देने का प्रयास किया है। नियमों का कैसे पालन हुआ, इसके आकस्मिक निरीक्षण में आरटीओ ने पाया कि स्पीड गवर्नर लगाने के साथ ही उसमें गाड़ी का नम्बर उकेरना चाहिए, मगर ऐसा नहीं किया जा रहा। इस पर आरटीओ ने डीलरों को फटकार लगाई और उन्हें शोकाज नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही है।
एक करोड़ जुर्माना
दुर्भाग्यवश, हादसा होता है और जांच में बस निर्माण में घटिया मापदंड की सामग्री पाई जाती है तो निर्माता पर एक करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। बस निर्माण के समय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाकर उसमें स्पीड गवर्नर लगाने की अनिवार्यता है।
-एमपी सिंह आरटीओ
गैरकानूनी तरीका
2015 के वाहनों में स्पीड गवर्नर लगना हैं, मगर परिवहन विभाग इन्हें गैरकानूनी तरीके से निजी तौर पर लगवा रहा है। ग्रामीण इलाकों की बसों में स्पीड गवर्नर नहीं हैं। विभाग केवल शहरी क्षेत्रों की बसों को निशाना बनाते हैं।
-गोविंद शर्मा अध्यक्ष बस ऑनर्स एसोसिएशन
क्या आप अंगदान करेंगे...
इंदौर परिवहन कार्यालय लाइसेंस के आवेदकों को अब नया फार्म दे रहा है। इसमें एक नए कॉलम में पूछा है कि क्या आप अंगदान करेंगे। आवेदक को इस कॉलम में हां या नहीं का जवाब देना होगा। आरटीओ ने ये इसलिए प्रारंभ किया है कि भविष्य में यदि किसी हादसे में आवेदक की मौत हो जाती है तो उसके अंगों को दान किया जा सके। जो आवेदक हां में जवाब देगा, उसकी विभाग सतत निगरानी रखेगा।
-अर्चना मिश्रा एआरटीओ