इंदौर के किसान आंदोलन पर दबंग दुनिया समूह के स्टेट एडिटर पंकज मुकाती की जमीनी टिप्पणी...
इंदौर। प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल दो दिन से चर्चा में है। मरीजों की मौत का सच, उसके कारण और लापरवाही अभी तय होना बाकी है। सभी संदेह के घेरे में हैं। मरीजों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, पर उस मौत से लाभ उठाने की कोशिश शर्मनाक है। लोगों की जिंदगियां बनाने, बचाने का जिम्मा यदि किसी के पास है तो वो हैं-डॉक्टर और नेता। एक जीवन बचाने की और दूसरा समाज गढ़ने की शपथ लेता है। एमवाय हॉस्पिटल की घटना में दोनों ने अपना सम्मान खो दिया। 17 मरीजों की मौत को अपनी रंजिश, निजी ईर्ष्या का बदला लेने के लिए इस्तेमाल किया वरिष्ठ चिकित्सक रामगुलाम राजदान ने। राजदान ने मीडिया के एक वर्ग को प्रभाव में लेकर ऑक्सीजन की कमी से मौत की अफवाह फैलाई। उन्होंने बड़े शातिराना तरीके से ये स्थापित किया कि 24 घंटे में 17 मौत हो गई, जबकि राजदान खुद अच्छे से जानते हैं कि एमवाय हॉस्पिटल में रोज इतनी मौत सामान्य हैं। राजदान सस्पेंड कर दिए गए। ये प्रशासनिक प्रक्रिया है। संभव है, कुछ दिनों में राजदान बहाल भी हो जाएं। पर राजदान के जुर्म ने मरीजों और उनके करीबियों के दिमाग में जो अविश्वास और डर पैदा किया है, उसे कोई भी निलंबन और बर्खास्तगी नहीं भर सकेगी। दूर दराज से सैकड़ों लोग रोज इलाज के लिए इंदौर आते हैं, उम्मीद के साथ। राजदान जैसे लोग उन उम्मीदों को कमजोर कर देते हैं। लोगों में एक डर पैदा होता है कि एमवाय जाएंगे तो पता नहीं बचेंगे या नहीं। ये वो अस्पताल है, जहां तमाम कमियों के बावजूद सबसे मुश्किल आॅपरेशन होते हैं। तमाम चकाचौंध वाले फाइव स्टार हॉस्पिटल भी जिन मरीजों का इलाज करने में नाकाम रहते हैं, उसे कामयाब बनाते हैं बड़े अस्पताल के डॉक्टर।
रात-दिन ईमानदारी से काम करने वाले डॉक्टर्स, नर्सें, सफाईकर्मी और इसे सुपरस्पैशिएलिटी का दर्जा दिलवाने के लिए संघर्ष करने वाले अफसरों की भी बदनामी ऐसे ‘गुलाम’ विचारों के कारण होती है।
अब, आते हैं राजनीति पर। कांग्रेस ने शुक्रवार को जो किया वो उसके पतन को सही साबित करता है। जिस ढंग से कांग्रेस के नेताओं ने एक मृतक के बेटे को घर से उठाकर प्रदर्शन में खड़ा कर लिया वो किसी भी सूरत में सही नहीं कहा जा सकता। गलत का विरोध जरूरी है, सही बात सामने लाना आपका हक है, पर सच की खोज में ऐसा संवेदनाहीन, विचारविहीन प्रदर्शन? तस्वीरों में देखिए, एक मौत की आड़ में पूरी पार्टी खड़ी दिखाई दे रही है। कैसे मुआवजा दिलवाने का लालच देकर एक बेटे को अपनी घिनौनी राजनीति का चेहरा बनाया जा सकता है? क्या कांग्रेस में अपनी खुद की इतनी भी ताकत और नैतिकता नहीं बची कि वो अपनी आवाज रख सके। क्या कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को इतनी तमीज भी नहीं रही कि कब क्या करना है। उन्हें इस बात की भी शर्म नहीं कि जब सच सामने आएगा तो जनता को क्या मुंह दिखाएंगे। कांग्रेस की झूठ की आभा कुछ घंटों में ही बुझ गई, जब मृतक के बेटे ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी की कोई बात उसने नहीं कही, उसे तो मुआवजा दिलवाने का कहकर ले जाया गया था। आखिर कब ऐसी मानसिकता का इलाज होगा?