उमेश भारद्वाज-
इंदौर। लगता है आरटीओ ऑफिस इंदौर व एजेंटों का रिश्ता चोली-दामन का है। कई किलोमीटर दूर बसा देने के बाद भी एजेंटों की न दादागीरी गई न उनके ठिकाने हटे। पिछले एक साल में खुद आरटीओ द्वारा एजेंटों को हटाने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन अभी भी एजेंटों की ‘साहब’ के कैबिन तक घुसपैंठ है।
हाथों में होती हैं गोपनीय फाइलें
दफ्तर में अक्सर एजेंटों को विभाग की महत्वपूर्ण फाइलों के साथ देखा जा सकता है। अब जबकि नायता मुंडला में ऑफिस खुल चुका है तो भी परिसर के पांच सौ मीटर के दायरे में आधा दर्जन से ज्यादा एजेंटों ने कब्जा जमा लिया है। कहने को यहां आसपास कुछ झोपड़ियां हैं, लेकिन इनमें एजेंट कुर्सियां जमाकर बैठ रहे हैं। इन्होंने बाकायदा बैनर भी टांग रखा है, ताकि ग्राहक को परेशानी न हो।