19 Mar 2024, 12:44:17 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- अनिल धारवा
इंदौर। हुंडी करोबारी शरद दरक ने लोगों के कालेधन को ठिकाने लगाने के लिए कागजों पर ही अरबों रुपए का टर्नओवर दिखाने वाली दर्जनों फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इन कंपनियों के माध्यम से ही उसने अपने भाई द्वारका दरक के साथ मिलकर 20 से 25 प्रतिशत कमीशन लेकर कालेधन को सफेद किया और खुद करोड़पति बन गया, लेकिन सरकार को इससे टैक्स का जमकर फटका लगा। सूत्रों के मुताबिक, इसका खुलासा पिछले दिनों रायपुर में हुआ। 
 
दरक बंधुओं ने अपनी कंपनियों के लिए इंदौर के अलावा कोलकाता, रायपुर, बिलासपुर, सूरत, गांधीनगर और मुंबई को गढ़ बना रखा है। यहां अलग-अलग बैंक खातों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने का काम किया। जानकारों के मुताबिक, सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा कोलकाता की कंपनी त्रिमूर्ति इंटरनेशनल में हुआ। इंदौर में इस काम को दरक बंधुओं द्वारा चार अलग-अलग स्थानों से संचालित किया जाता था। 
 
ऐसे होती थी इंट्री
सूत्रों के मुताबिक, दरक बंधु उद्योगपति, बिल्डर, अफसर व राजनेताओं  के हजारों करोड़ रुपए के कालेधन को कंपनी टू कंपनी ट्रांजेक्शन करते हुए बैंकों में जमा करते थे। इसके एवज में दरक बंधु अपना कमीशन काटकर संबंधित व्यक्ति को लोन के तौर पर उक्त रकम एक आरटीजीएस या अन्य माध्यम से वापस करते थे। इसके बाद कुछ महीने या सालभर बाद कंपनी में घाटा दिखाकर कंपनी बंद को कर दिया जाता। 
 
इंदौर के कांग्रेस नेता को भी लगाया चूना
जानकारों के मुताबिक, कांग्रेसी नेता और बिल्डर ने भी दरक को कालाधन सफेद करने के लिए करोड़ों रुपए दिए, लेकिन जब रुपए लोन के तौर पर वापस करने का समय आया तो नोटबंदी हो गई और दरक ने शहर छोड़ दिया। इसके बाद से रुपए के लिए उक्त नेता दबाव बनाते रहे, लेकिन जब उच्च स्तर से दबाव आया तब बैठक कर दरक बंधु रुपए वापस करने को तैयार हुए। हालांकि अभी रुपए वापस नहीं किए हैं।
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