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निगम के पांच करोड़ काटकर बिजली कंपनी को दे दिए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 4 2017 10:54AM | Updated Date: Feb 4 2017 10:54AM
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कृष्णपाल सिंह इंदौर। तेजी से हो रहे विकास कार्यों के चलते जहां इंदौर ने प्रदेश के अन्य शहरों को पीछे छोड़ दिया, वहीं शासन ने नगर निगम के फंड में पांच करोड़ की कटौती कर उक्त राशि बिजली कंपनी की झोली में डाल दी। इससे निगम को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि प्रदेश सरकार से मिलने वाली राशि से उसका ज्यादातर खर्च निकल जाता है। हालांकि मेयर मालिनी गौड़ ने इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से चर्चा करने की बात कही है।

निगम द्वारा पहले चुंगी क्षतिपूर्ति में मिलने वाली राशि को लेकर सरकार के समक्ष अपनी परेशानी रखे जाने के बाद इसे दोबारा चालू किया गया। अब उसके खाते से बिजली कंपनी के नाम पर प्रतिमाह पांच करोड़ रुपए काटने की व्यवस्था कर दी। ये राशि बड़ी होने से निगम की गाड़ी बार-बार बेपटरी होने लगी है।

पानी पर ही प्रतिमाह करोड़ों की बिजली खपत
निगम जलूद से नर्मदा जल इंदौर लाने पर प्रतिमाह करोड़ों रुपए बिजली पर खर्च करता है। इसके अलावा संचालन-संधारण पर भी काफी राशि खर्च होती है। प्रतिमाह 15 करोड़ के लिहाज से देखें तो सालाना आंकड़ा करीब 180 करोड़ रुपए होता है, जबकि वसूली मात्र 40 से 45 करोड़ है। ऐसी स्थिति में 2001 से बिजली कंपनी के बकाया चले आ रहे 400 करोड़ रुपए निगम के खाते से सरकार सीधे काटकर कंपनी के खजाने में डाल रही है। हालांकि इसमें सरचार्ज व अन्य राशि काटकर निगम के 200 से 250 करोड़ रुपए बकाया निकले हैं। पांच करोड़ की पहली किस्त इसी माह कट चुकी है।

...तब काट दिया था निगम का कनेक्शन
तत्कालीन कमिश्नर राकेश सिंह के कार्यकाल में बिजली कंपनी ने बकाया वसूली के लिए निगम मुख्यालय व जोनल कार्यालयों का कनेक्शन काट दिया था, जो बकाया राशि का चेक मिलने के बाद ही जोड़ा गया। यही कारण रहा कि कंपनी के कर्ताधर्ता सरकार के पास चले गए और पीड़ा बताकर सीधे राशि कटवा ली। इसकी सूचना इंदौर के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को लगती, तब तक राशि कट गई और निगम को आदेश मिल चुका था।

शासन से अनुदान का यह है नियम
राज्य सरकार के नियम के तहत विशेष संधारण अनुदान सभी हस्तांतरित जल प्रदाय योजनाओं को देय नहीं होगा। इसमें सिर्फ वे स्थान शामिल होंगे, जहां जलस्रोत दूर हैं या फिर पानी काफी ऊंचाई से पंपिंग कर लाना पड़ रहा है। इसके साथ ही पीएचई के बजट में उपलब्ध संधारण राशि में से जितनी जलकर के रूप में राजस्व की राशि प्राप्त होती है, वह घटाकर शेष राशि अनुदान बतौर नगरीय निकायों को दी जाएगी।

मुख्यमंत्री से करेंगे चर्चा
बिजली कंपनी का वर्षों से बकाया चला आ रहा था, जिसमें से पांच करोड़ की राशि काट ली गई। मुख्यमंत्री से इस मामले में चर्चा करेंगे। हर माह निगम के पांच करोड़ रुपए कटेंगे तो शहर विकास में परेशानी आएगी। मालिनी गौड़, मेयर

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