रफी मोहम्मद शेख इंदौर। कोठारी कॉलेज में फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप देने के आरोपों के बाद यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई कमेटी जांच पूरी ही नहीं कर पाई। न तो बनाई गई पूरी कमेटी जांच के लिए कॉलेज पहुंची और न ही कॉलेज ने कमेटी द्वारा मांगे गए पूरे दस्तावेज दिए। इस कारण ये जांच अधर में है। मामले में पूरी जांच के लिए अब कमेटी को और वक्त देना पड़ेगा। कॉलेज के एक पूर्व कर्मचारी ने इसकी लोकायुक्त में शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को जांच के लिए लिखा था।
यूनिवर्सिटी ने इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें डॉ. जयंत सोनवलकर, डॉ. लक्ष्मण शिंदे, डॉ. एसबी सिंह व यशवंत पटेल को रखा गया था। डॉ. सिंह उच्च शिक्षा विभाग में स्पेशल ओएसडी हैं, इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी की कमेटी में शामिल होने से इनकार कर दिया। वहीं डिप्टी रजिस्ट्रार यशवंत पटेल का ट्रांसफर भोपाल होने से वे भी कमेटी में शामिल नहीं हुए।
अधूरी रिपोर्ट पर उठे सवाल
अब अधूरी कमेटी की आधी-अधूरी रिपोर्ट पर ही सवाल उठ रहे हैं। बताया जाता है कमेटी ने साफ दिया कि इस मामले की तह तक जांच करना है तो उन्हें और वक्त दिया जाना चाहिए। साथ ही कमेटी में अन्य सदस्यों को भी जोड़ना चाहिए, ताकि इसका कोरम पूरा हो सके। चूंकि जो दो सदस्य इसमें शामिल ही नहीं हुए, वे प्रशासकीय व्यवस्था से संबद्ध हैं, इसलिए उन्हें इस मामले में ज्यादा जानकारी व अनुभव भी है। अब यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा विभाग नए सदस्यों को शामिल कर फिर जांच करा सकता है।
पूर्व कर्मचारी की शिकायत
कॉलेज के पूर्व कर्मचारी तरुण लिखार ने लोकायुक्त, कलेक्टर से कुलपति तक स्कॉलरशिप सहित अन्य फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। लिखार ने बताया स्कॉलरशिप ऐसे विद्यार्थियों को दे दी गई, जो कॉलेज में थे ही नहीं। सत्र 2011-12 में बीएससी आईटी में कॉलेज ने 37 विद्यार्थी बताए, जबकि मात्र दो ही एडमिशन थे। 30 जून को उसे कॉलेज प्रबंधन ने इसीलिए बाहर कर दिया कि उसने फर्जीवाड़े का विरोध किया था।
पुराने दस्तावेज की बात
बचे दो सदस्यों की अधूरी कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट बना दी। कमेटी द्वारा मांगे गए दस्तावेज कॉलेज उपलब्ध नहीं करा पाया। कमेटी के सदस्यों ने मुख्य रूप से स्कॉलरशिप के संबंध में जो दस्तावेज मांगे, कॉलेज के पास वे थे ही नहीं। उन्होंने कमेटी को ये कहकर वापस कर दिया कि इसमें से अधिकांश पुराने हैं, इसलिए तुरंत दिए नहीं जा सकेंगे। उन्होंने इस बारे में पहले से बताने के बाद ही ये देने की बात कही है।
बता नहीं पाए कि पढ़ें या नहीं
जानकारी के अनुसार कमेटी ने रिपोर्ट तो बना दी, लेकिन ये न तो मान्य है और न ही पूरी है। कॉलेज पर अजा-जजा व पिछड़ा वर्ग के ऐसे विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप फर्जी तरीके से निकालने का आरोप है, जो अध्ययनरत ही नहीं थे। कॉलेज ये नहीं बता पाया कि इन्हें स्कॉलरशिप कैसे मिली। उन्होंने ये सिद्ध करने की कोशिश की कि इन विद्यार्थियों ने कॉलेज में एडमिशन तो लिया था, पर ये नहीं बता पाए कि ये कॉलेज में पढ़ने या परीक्षा देने आए कि नहीं। इसके बावजूद इन्हें स्कॉलरशिप कैसे मिल गई।
एडमिशन प्राप्त थे
कॉलेज ने कमेटी को बता दिया कि ये विद्यार्थी हमारे यहां एडमिशन प्राप्त थे। इस कारण उनकी स्कॉलरशिप आई थी। हमने उन्हें दस्तावेज दिए हैं। और जो भी चाहिए, दे देंगे।
-आशीष ओझा, वरिष्ठ प्रोफेसर, कोठारी कॉलेज