26 Apr 2024, 22:38:55 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

कृष्णपाल सिंह  इंदौर। प्रदेश सरकार ने नगर निगम को दिए जाने वाली ‘आॅक्ट्राय’ चुंगी क्षतिपूर्ति की 26 करोड़ की राशि रोक ली है। पिछले माह भी इस राशि में बड़ी कटौती की गई थी। इस वजह से निगम की माली हालत खस्ता हो गई है। राशि लेने के लिए प्रयास तेज किए जा रहे हैं, ताकि विकास कार्यों को गति मिल सके।

विशेषज्ञों की मानें तो इंदौर नगर निगम वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर हो गया है, इसलिए उसे आॅक्ट्राय (चुंगी क्षतिपूर्ति) की राशि की जरूरत नहीं है। यह राशि 30 साल से निगम को मिल रही है, जो घटती-बढ़ती रहती है।

...तो इसलिए इंदौर को किया दूर
इंदौर नगर निगम में एक साथ तीन बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिसमें केंद्र व राज्य सरकार फंडिंग कर रही है। इसके अलावा निगम अपने स्तर पर वृह्द स्तर पर टैक्स वसूली कर खजाना भर रहा है। ऐसे में नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने इंदौर को आत्मनिर्भर की श्रेणी में डाल दिया है, जिस कारण जनवरी में मिलने वाले आॅक्ट्राय की राशि भोपाल में फंस गई। इंदौर में केंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी का काम शुरू हो गया है। इसके अलावा अमृत योजना की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार से सहमति भी मिल गई है। आखिरकार तीसरे प्रोजेक्ट मेट्रो में जरूर थोड़ा वक्त लगेगा। इन तीन प्रोजेक्ट से होने वाली फंडिंग को देखते हुए आॅक्ट्राय से मिलने वाली राशि से इंदौर निगम को दूर कर दिया है।

50 करोड़ की बची देनदारी
नगर निगम की दो साल पहले माली हालत दयनीय बनी हुई थी, क्योंकि 250 करोड़ रुपए की देनदारी बकाया चल रही थी। इस राशि को कम करने के लिए मेयर गौड़ व कमिश्नर मनीषसिंह ने कमान संभाली। इसके बाद एक-एक कर देनदारी का निपटरा किया। अब मात्र 50 करोड़ रुपए की देनदारी बची है। इधर, चुंगी क्षतिपूर्ति राशि अटकने से फिर से निगम के खजाने पर असर पड़ने लगा है। उधर, शहर में लगातार विकास कार्य के लिए टेंडर जारी हो रहे हैं। ऐसे राशि के अभाव में ये काम प्रभावित हो सकते हैं। आॅक्ट्राय राशि लाने के लिए मुख्यमंत्री व नगरीय प्रशासन के अफसरों से चर्चा कर हर संभव प्रयास में जनप्रतिनिधि व अफसर जुट गए हैं, क्योंकि आॅक्ट्राय से मिलने वाली राशि को विभिन्न मदों में खर्च किया जाता था।

पिछले माह 11 करोड़ कम मिले थे
बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व महापौर उमाशशि शर्मा के कार्यकाल में चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि 30 करोड़ रुपए दी जाती थी, जिसमें सरकार ने कटौती करते हुए पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में 26 करोड़ रुपए कर दिए। इसके बाद दिसंबर में 11 करोड़ रुपए कम कर दिए गए, बल्कि जनवरी में राशि ही नहीं भेजी गई। राशि नहीं मिलने के कारण शहर के विकास कार्यों पर असर पड़ना शुरू हो गया है। हालांकि मेयर मालिनी गौड़ ने भी इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री से बात कर समस्या से अवगत कराया है।

ये रहती है निगम की परेशानी
नगर निगम सबसे पहले 1 से 7 जनवरी तक तनख्वाह और बिजली बिलों की राशि की व्यवस्था करता है। इसमें देर न हो, इसका खासा ध्यान रखा जाता है। इसके बाद दूसरे कामों की बारी आती है। फिर शहर में चल रहे विकास कार्यों की। इसमें उद्यानों के सौंदर्यीकरण की बात करें, या सड़कों को संवारने की। या फिर नई लाइटों को लगाने सहित अन्य कामों पर राशि खर्च की जाती है। ऐसे में चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि नहीं मिलने से निगम की परेशानी बढ़ गई है और अधिकारियों ने इंदौर-भोपाल एक कर दिया है।

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