विनोद शर्मा इंदौर। सीमेंट कंपनियों की बतौर मेहरबानी जल्द ही घर बनाना महंगा पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि सीमेंट कंपनियों ने कारटेल बनाकर सीमेंट की सप्लाई डाउन कर दी है ताकि जल्द ही सीमेंट की कीमतें बढ़ाई जा सके। हालांकि जनवरी से पहले कंपनियों की एक कोशिश नोटबंदी के कारण नाकाम हो भी चुकी है।
नोटबंदी के दौरान कम हुई मांग के कारण सीमेंट कंपनियों ने कीमतों में कटौती शुरू कर दी थी। उन्होंने 1 जनवरी से अर्थव्यवस्था व बाजार में हलके सुधार के बाद ही अपना रंग दिखा दिया। सीमेंट बनाने वाली कंपनियों ने कारटेल (एकजुटता) बनाकर सप्लाई धीरे-धीरे कम कर दी। हालात यह हैं कि कुछ जगह तो आॅर्डर लेकर भी सप्लाई वक्त पर नहीं हो रही। इससे माना जा रहा है कि 26 जनवरी से पहले कंपनियां सप्लाई शॉर्ट बताकर सीमेंट की कीमत बढ़ा देंगी।
ऐसे बढ़ेगा भार
अभी इंदौर में सीमेंट की खत्पत एक लाख टन/माह है। यानी 20 लाख बोरी सीमेंट। एक बोरी सीमेंट की औसत कीमत 280 रुपए है। कंपनियां 20-30 रुपए बढ़ाना चाहती हैं, यानी 20 लाख बोरियों की लागत 56 करोड़ से बढ़कर 62 करोड़ हो जाएगी।
क्यों शार्ट है सीमेंट
डीलरों के अनुसार कंपनियां ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत का हवाला दे रही हैं। उनके अनुसार जिस गति से सीमेंट का परिवहन होता था, अभी वह गति नहीं बन पा रही है। वहीं दूसरी तरफ इसकी वजह बीते दिनों भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा 11 सीमेंट कंपनियों पर ठोंके गए 6700 करोड़ के जुर्माने को बताया जा रहा है, जिसकी भरपाई कंपनियां करना चाहती हैं।
एक कोशिश नाकाम हो चुकी है
इंदौर के एक बड़े सीमेंट डीलर ने बताया कि कुछ समय पहले भी कंपनियों ने सप्लाई शार्ट दिखाकर कीमतें बढ़ाना चाही थीं, लेकिन वे ऐसा कर नहीं सकी। उलटा, नोटबंदी के कारण कीमतें कम करना पड़ गर्इं। मार्केट की स्थिति ऐसी है कि दोबारा कोशिश कर रही हैं तो भी कंपनियों को ज्यादा सफलता नहीं मिलेगी।