मुनीष शर्मा इंदौर। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) ने ईमानदारी से हाउसिंग लोन जमा कराने वालों को भी डिफॉल्टर बना दिया। उसके एक आदेश ने सिर्फ इंदौर के ही एक लाख से ज्यादा लोन लेने वालों को मुश्किल में डाल दिया है, जो अब बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। दरअसल बैंक ने लोन लेने वाली तारीख को किस्त जमा करने की तारीख मान लिया है। एक दिन भी देरी से किस्त जमा करने पर 573 रुपए पेनल इंटरेस्ट (पेनल्टी) के रूप में काट रहा है।
दो माह से हो रहे परेशान
हाउसिंग लोन लेने वाले अधिकांश ग्राहकों को दो माह से एसबीआई मुख्यालय मुंबई से मोबाइल पर मैसेज आ रहे हैं। मैसेज में लिखा होता है कि आपके खाते से समय पर किस्त जमा नहीं हो रही है। देरी से किस्त जमा करने पर 573 रुपए या इससे ज्यादा की पेनल्टी भरना होगी, जो आपके अकाउंट से ही काट ली जाएगी। अधिक जानकारी के लिए संबंधित शाखा में संपर्क करें। यह मैसेज मिलते ही लोन लेने वाले बैंक के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं।
ऐसे समझें गड़बड़ी को
मान लें आपने 4 अप्रैल 2011 को लोन अकाउंट खुलवाया है।
लोन लेने वाले ने सहुलियत के हिसाब से किस्त जमा करने की तारीख 18 रखी।
लेकिन बैंक मान रहा है कि 4 अप्रैल को लोन लिया तो किस्त एक माह बाद (4 मई) जमा हो जाना चाहिए।
वहीं लोन लेने वाला किस्त 18 तारीख के हिसाब से जमा कर रहा है।
जबकि लोन लेने की तारीख का किस्त जमा करने की तारीख का कोई लेना-देना नहीं होता।
बैंक किस्त देरी से जमा करना मानकर पेनल्टी के रूप में 573 रुपए या उससे ज्यादा राशि काटी जा रही है।
इस तरह ईमानदारी से किस्त जमा करने वालों को भी बैंक ने डिफॉल्टर की सूची में खड़ा कर दिया।
बैंक वालों को भी नहीं थी जानकारी
मामला हाउसिंग लोन का है, इसलिए इसका जवाब भी सिर्फ इसी विभाग के कर्मचारी देते हैं। इस नए आदेश की जानकारी भी बैंक कर्मचारियों को एक माह पहले मालूम हुई। इसके पहले मैसेज मिलने पर जब लोन लेने वाला बैंक पहुंचता था तो उसे टकरा दिया जाता था कि हमें इस आदेश की जानकारी नहीं है।
आवेदन करें, रुपए खाते में आ जाएंगे
यह प्रक्रिया मुंबई मुख्यालय से हुई है। जिन लोगों को पेनल्टी लगी है, वे एक सादे कागज पर लिखकर हमें दे दें, ताकि उनके खाते में राशि वापस की जा सके। लोन लेने वाले जल्द ही अपनी किस्त की तारीख भी संबंधित अधिकारी से बात कर ठीक करवा लें जिससे उन्हें ऐसे मैसेज आना बंद हो जाएंगे। यदि प्रक्रिया पूरी नहीं की पेनल्टी भरना ही पड़ेगी।
-ए.वी.एस.एन. प्रसाद, सहायक महाप्रबंधक एसबीआई