मुनीष शर्मा इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम-71 के डी सेक्टर में एक संस्था ने एजुकेशन के नाम पर लीज पर प्लॉट पर लिया। बाद में इसे बेचने की कोशिश की। जब प्राधिकरण ने इसकी अनुमति नहीं देते हुए लीज समाप्ति की चेतावनी दी तो संस्था ने यह जमीन गुपचुप तरीके से दूसरी संस्था को किराए पर दे दी। मामला स्टेट रिसर्च सेंटर फॉर एडल्ट एजुकेशन का है। उसने यह जमीन जामिया आयशा केयरवेल गर्ल्स मॉडल मदरसा को दे दी।
1990 में मिली थी 16000 वर्गफीट जमीन
स्टेट रिसर्च सेंटर फॉर एडल्ट एजुकेशन को प्राधिकरण ने वर्ष 1990 में लगभग 16000 वर्गफीट जमीन दी थी। लीज की शर्तों में स्पष्ट लिखा था कि इसे एजुकेशन के लिए ही इस्तेमाल करें और जमीन अन्य किसी को नहीं दी जाए। 14 साल बाद संस्था ने 19 मार्च 2004 को एक पत्र प्राधिकरण अध्यक्ष को भेजा, जिसमें जमीन बेचने की अनुमति मांगी। बेचने का कारण खुद की जमीन पर नया भवन बनाना बताया था। जब प्राधिकरण ने अनुमति नहीं दी तो संस्था ने जामिया आयशा केयरवेल गर्ल्स मॉडल मदरसा को यह जमीन किराए पर दे दी। इसे बेचे जाने की भी बात आ रही है।
नेशनल ओपन बोर्ड का भी सेंटर
इस जमीन पर मदरसा चलाने की बात कही जा रही है, वहीं यहां नेशनल ओपन बोर्ड का सेंटर भी है। पिछले सप्ताह ही बोर्ड ने इस संस्था में आयोजित की गई 10वीं की परीक्षा का रिजल्ट रोक दिया है। इसका कारण एक जैसी उत्तर पुस्तिका लिखी जाना है। लगभग 100 छात्र इससे प्रभावित हुए हैं। कॉपी नोएडा में जांची गई थी, जिसमें नकल की आशंका जताई जा रही है, इसकी जांच भी चल रही है। यह बात भी सामने आ रही है कि इस भवन में शिक्षा माफिया सक्रिय हैं।
दोनों संस्था का काम एक
हमारी संस्था को प्राधिकरण ने प्लॉट दिया था। मदरसा व हमारी संस्था का काम एक जैसा है यानी एजुकेशन देना। हमारा उनके साथ अनुबंध हुआ है, जिसके तहत हमने जमीन उन्हें उपयोग के लिए दी है। इसे बेचने की बात गलत है।
- अंजली अग्रवाल, डायरेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर फॉर एडल्ट एजुकेशन
हमारा अनुबंध है
नेशनल ओपन ने रिजल्ट रोका है, इसमें संस्था की गलती नहीं है। यहां कोई शिक्षा माफिया सक्रिय नहीं हैं। रिसर्च सेंटर के साथ हमारा अनुबंध है, जिसके तहत हम इस भवन का उपयोग कर रहे हैं।
- हलीम खान, मदरसा प्रमुख