कृष्णपाल सिंह इंदौर। कहीं वाहनों का कब्जा तो कहीं धार्मिक स्थल... कहीं बड़ी बाधाएं हैं, तो कहीं सीवरेज का ‘लीकेज’ है। कहीं स्टॉर्म वाटर लाइन डालना ही भूल गए...। ये स्थिति आईडीए द्वारा बनाए गए 11.5 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस की है, जहां अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। हर तरफ कब्जे हैं तो कहीं रसूखदार हावी हैं। इन तमाम कारणों से आम जनता परेशान है। इसीलिए अब नगर निगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर एक-एक निर्माण को हटाने की तैयारी में जुट गया है। इसके लिए संबंधित जमीन मालिकों से सहमति ली जा रही है। प्रेस कॉम्प्लेक्स के पास स्थित वाघमारे परिवार से जमीन मिलने के बाद अब पटेल मोटर्स के अलावा सत्यसांई चौराहा से आगे जैन नर्सरी संचालक से भी बात कर सहमति बनाई जाएगी। इसके बाद कार्रवाई शुरू होगी।
पाइप डालकर लाइन चालू करने में हैं चुनौतियां
निगम अधिकारी अब तक बहाना बना रहे थे कि बीआरटीएस पर कब्जों के कारण सीवरेज लाइन अधूरी डली और कहीं-कहीं डालना ही भूल गए। इसमें गीता भवन चौराहा पर जमीन से 25 फीट नीचे अधूरी लाइन पूरी कर चार्ज किया गया। इसी तरह पलासिया से गिटार तिराहा तक करीब 100 मीटर हिस्से में पाइपलाइन डालकर चालू की गई। इसके अलावा अभी भी कई स्थानों पर लाइन नहीं डली है। अब वाघमारे परिवार की जमीन पर लाइन डाली जाएगी। इससे दिक्कत दूर हो जाना चाहिए, लेकिन चुनौतियां ढेरों हैं, क्योंकि फ्री प्रेस और होटल श्रीमाया परिसर में बने चैंबर फुल हैं। वहीं कुछ स्थानों पर सीमेंट-कांक्रीट भरकर बला टाल दी गई और बीआरटीएस निगम के सुपुर्द कर दिया गया। हालांकि 1600 एमएम के पाइप के लिए जुगाड़ की गई है, क्योंकि ये बीआरटीएस के लिए ही तैयार कराए गए थे। अब जहां-जहां जगह मिल रही है, वहां के लिए ये पाइप आॅर्डर पर बनवाए जा रहे हैं।
कई काम अब तक हैं अधूरे
बीआरटीएस पर कई जगह पाइप नहीं जोड़े गए। फुटपाथ, बॉटलनेक, चौराहों का विकास अधूरा है। लेफ्ट टर्न भी इक्का-दुक्का को छोड़ बाकी अधूरे हैं। ढेरों काम बचे हुए हैं और बाधाएं हटाई जाना हैं।
-किशोर कोडवानी, याचिकाकर्ता व समाजसेवी
सीवरेज लाइन डालने में करना पड़ेगी मशक्कत
आईडीए की लापरवाही की भरपाई निगम को करना पड़ेगी। अब बाधाएं हटाने के साथ अधूरे काम पूरे करना होंगे। इसमें सीवरेज लाइन जमीन के अंदर डालने में खासी मशक्कत करना पड़ेगी।
-छोटे यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष व पार्षद
बन रही है बाधाएं हटाने की रणनीति
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमीन ले सकते हैं। इसमें जहां भी बाधाएं हैं, उन्हें हटाने के लिए रणनीति बना रहे हैं। इसे लेकर सहमति बनाई जा रही है। बीआरटीएस में जहां-जहां भी परेशानी है, उसे लेकर ही चर्चा चल रही है।
-महेश शर्मा, कार्यपालन यंत्री, नगर निगम
ये काम हैं बाकी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अन्य स्थानों से बाधाएं हटाना।
धार्मिक स्थल हटाने के बाद पाइपलाइन डालना।
सड़क बनाना, फुटपाथ व अन्य काम।
लाइनों से सीमेंट-कांक्रीट और गाद साफ करना।
जहां लाइन नहीं डली, वहां खुदाई कर डालना होगी।
केस- एक
वाघमारे परिवार की 310 फीट लंबी दीवार खड़ी करने का काम तेजी से चल रहा है। तीन से चार दिन में दीवार बन जाएगी। इसके बाद सीवरेज लाइन डालने का काम शुरू होगा। इसमें 20 से ज्यादा पाइप डाले जाएंगे।
केस- दो
सत्यसांई चौराहा से चंद कदम दूर जैन नर्सरी है। इसका मामला कोर्ट में चल रहा है। पीछे बसंत विहार कॉलोनी होने से इस हिस्से में पेंच फंसा है। आईडीए ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया।
केस- तीन
देवास नाका के पास पटेल मोटर्स की जमीन का मामला भी कोर्ट में है, जबकि जमीन मालिक तैयार था। शर्त यह थी कि अन्य धार्मिक स्थल हटें तो यहां से भी हटा लेंगे। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जा सकता है।
केस- चार
होटल श्रीमाया, सी-21 मॉल, मल्हार मॉल, आॅर्बिट मॉल, यू-टर्न, अपना स्वीट्स और मंगलसिटी सहित अन्य मॉल व बिल्डिंगों की पार्किंग सर्विस लेन पर भी होती है। ट्रैफिक पुलिस इक्का-दुक्का चालान बनाती है, जबकि निगम कोई कार्रवाई नहीं करता।
केस- पांच
11.5 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस पर करीब 22 छोटे-बड़े धार्मिक स्थल हैं। इनकी शिफ्टिंग के प्रयास विफल रहे। अब मेयर मालिनी गौड़, कलेक्टर पी. नरहरि और कमिश्नर मनीष सिंह द्वारा इस पर मंथन कर सभी से सहमति ली जा रही है।