मुकेश मुवाल इंदौर। सुखद खबर है कि 2016 में पुलिस जिले के लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रही। इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनवरी से अब तक बदमाशों ने डकैती की 31 साजिश रचीं, जिन्हें पुलिस ने समय रहते नाकाम कर दिया। सभी मामलों में जिला पुलिस ने 150 से ज्यादा बदमाशों को हथियारों के साथ पकड़ा, जो अब भी सलाखों के पीछे हैं।
शहरी क्षेत्र में 30 तो देहात में 12 थाने हैं। 2014 में खुड़ैल और सिमरोल में एक-एक सहित दो डकैती हुर्इं, जो 2015 में बढ़कर चार हो गर्इं। ये डकैती किशनगंज, बड़गौंदा, हातोद व देपालपुर में डली। इसी साल डकैतों ने शहरी क्षेत्र का रुख किया और कनाड़िया, विजय नगर व एरोड्रम में एक-एक कर तीन डकैती डाली। डकैतों को देहात के मुकाबले शहरी क्षेत्र इतना पसंद आया कि उन्होंने 2016 में एरोड्रम थाना क्षेत्र को निशाना बनाया और एक-एक कर तीन डकैती को अंजाम दिया। इसका बढ़ता आंकड़ा देख तत्कालीन डीआईजी संतोषकुमार सिंह ने जानकारी जुटाई तो कार्रवाई (डकैती के पहले पकड़ाए बदमाश) का आंकड़ा 2014 में तीन, 2015 में 13 निकला। हालांकि 2016 में ये बढ़कर 31 हो गया।
पुलिस ने रात्रि गश्त तेज की
ऐसा इसलिए हुआ कि तत्कालीन डीआईजी सिंह ने पिछली डकैतियों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। रात्रि गश्त तेज कर दी गई तो प्रभात गश्त में जिम्मेदारों को भी सुस्त नहीं रहने दिया। आखिर हथियार, चाकू, पिस्टल, लाठियों और मिर्च पावडर सहित औसतन 155 बदमाशों (एक वारदात में पांच का औसत) को जेल की सलाखें देखना पड़ीं। कार्रवाई में सबसे महत्वपूर्ण योगदान नवंबर 2015 में शुरू की गई पुलिस की ‘क्राइम ब्रांच’ का रहा।