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बैंककर्मियों को बढ़े काम का मिलेगा ओवरटाइम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 11 2016 10:12AM | Updated Date: Dec 11 2016 10:12AM
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मुनीष शर्मा इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 व 1000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा के बाद से बैंककर्मियों पर लगातार काम का लोड बढ़ा है। इसके मद्देनजर उनकी मांग पर सरकार ने करीब 25 साल पुराना ओवरटाइम देने का नियम फिर शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि यह सिर्फ बाजार की व्यवस्था सुधरने तक ही लागू रहेगा। ओवरटाइम किसे देना है, यह संबंधित शाखा के मैनेजर द्वारा तय किया जाएगा। जांच में गड़बड़ पाई गई तो मैनेजर भी दोषी होगा। वैसे नोटबंदी से हुए नुकसान में विपक्ष इसे भी मुद्दा बना सकता है।

नोटबंदी की घोषणा वाले सप्ताह में ही माह का दूसरा शनिवार व अगले दिन रविवार होने से बैंकों में अवकाश था, लेकिन बैंककर्मियों ने इन दिनों में अतिरिक्त समय रुककर भी काम किया। ओवरटाइम की बात वित्त मंत्रालय तक पहुंची, जिसके बाद तय हुआ कि अवकाश के दिनों में काम करने पर सुबह 10.30 से शाम 5.30 बजे तक का वेतन दिया जाए। बैंककर्मियों का कहना था उन्होंने रात दो बजे तक रुककर भी काम किया है। अंतत: यह तय हुआ कि कर्मचारियों को उनके काम के हिसाब से ओवरटाइम दिया जाएगा।

25 साल पहले था ऐसा नियम
बैंककर्मियों को ओवरटाइम देने का नियम करीब 25 साल पहले तक था, लेकिन मैनेजर व कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण सरकार को काफी आर्थिक नुकसान होने से इसे बंद कर दिया गया। तब एक रास्ता यह रखा गया था कि इमरजेंसी में बैंककर्मी को अतिरिक्त काम के लिए भुगतान दिया जाएगा। नोटबंदी की घोषणा को इसी श्रेणी में लेकर अगले आदेश तक इसे फिर लागू किया गया है। इस संबंध में हाल ही बैंकिंग परिपालन विभाग, राष्ट्रीय बैंकिंग समूह मुंबई ने आदेश जारी किए हैं।

भुगतान से पहले होगा काम का आकलन
बैंककर्मी गलत तरीके से भुगतान न ले सके, इसके लिए उसके द्वारा किए गए काम का आकलन किया जाएगा। यानी कैशियर है तो उसने कितने लोगों को सामान्य समय में राशि दी व अतिरिक्त समय में कितने ग्राहकों को अटैंड किया। फर्जी तरीके से काम दिखाकर पैसा लिया तो ब्रांच मैनेजर भी दोषी होगा।

मैनेजमेंट हो तो काम बने आसान
इंदौर में यदि स्टेट बैंक आॅफ इंडिया का काम देखें तो यहां मैनेजमेंट की कमी है, जिसका हर्जाना सरकार को देना होगा। आंकड़ों के अनुसार 8 नवंबर के बाद से लोन के लिए न के बराबर लोग आ रहे हैं, यानी दस प्रतिशत भी काम नहीं हो रहा। जीपीओ स्थित लोन शाखा में 40 में से 30 कर्मचारियों की सेवाएं अन्यत्र ली जा सकती हैं। इससे लोगों की लाइन नहीं लगेगी और संबंधित कर्मचारी को आसानी होगी। वहीं सरकार को ओवरटाइम भी नहीं देना पड़ेगा। मामला भोपाल से चलने के कारण यहां किसी तरह के परिवर्तन नहीं किए जा रहे।

 

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