26 Apr 2024, 16:44:28 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। इनकम टैक्स ने ज्वेलर्स, बिल्डर्स और केटरर्स पर शिकंजा कस रखा है, वहीं डायरेक्टर जनरल आॅफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने चायनीज फर्नीचर के बड़े कारोबारियों पर निशाना साधा है। हिंदुस्तान में ज्यादातर कारोबारी चीनी फर्नीचर का कारोबार 50 फीसदी एक नंबर में, बाकी दो नंबर में करते हैं। इन तमाम कारोबारियों के साथ डीआरआई के पास फर्नीचर के चीनी सप्लायर्स की सूची भी तैयार है। इनमें दो दर्जन से ज्यादा कारोबारी इंदौर के हैं।

अंडर गारमेंट, गारमेंट, टीवी कम्पोनेंट जैसे उत्पादों का बिल बनवाकर चीनी फर्नीचर की खेप बुलाई जाती है। इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) पीथमपुर में भी फर्नीचर की ऐसी खेप पकड़ी जा चुकी है। इसे मिस डिक्लेरेशन कहा जाता है जो कस्टम एक्ट के तहत न सिर्फ कस्टम चोरी है बल्कि कानूनन अपराध भी है। ऐसी खेप पर अब डीआरआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

इंदौर में है दो दर्जन खिलाड़ी
भरत लाइफ स्टाइल, महिदपुरवाला फर्नीचर, स्टेलर जैसे इंदौर में कई फर्नीचर शोरूप हैं, जहां बड़ी तादाद में आॅफिस व होम फर्नीचर के रूप में चायना के फर्नीचर का इस्तेमाल होता है। शुरुआती दौर में इनकी संख्या भले ही कम थी, लेकिन आज इंदौर में ऐसे शोरूम की संख्या दो दर्जन से अधिक है।

फर्नीचर की आड़ में गोरखधंधा
बीते दिनों डीआरआई की टीम ने दिल्ली में एम्पायर सेफ कंपनी पर दबिश दी थी। जांच में पता चला कि फर्नीचर में छिपाकर ओजोन डिप्लिटिंग गैस और आर-22 गैस के साथ ही प्रिंटिंग में काम आने वाली पी.एस.प्लेट लाई गई थी।

ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग
बताया जा रहा है कि फर्नीचर की इन्वॉइस यदि एक करोड़ की बनी है तो हिंदुस्तानी कंपनियां डबल बिलिंग करवाकर 50 फीसदी पेमेंट आॅन द बुक्स करती हैं और 50 फीसदी आउट आॅफ द बुक्स। हवाले के जरिये। इसे डीआरआई की भाषा में ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग (टीबीएमएल) कहा जाता है।  फर्नीचर या अन्य प्रतिबंधित उत्पादों के कारोबार के नाम मनी लॉन्डिंÑग करने वाले ऐसे कारोबारियों पर डीआरआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

कालाधन खपाने का तरीका

सोने और केटरिंग की तरह ही फर्नीचर की बुकिंग भी पुरानी तारीख में दिखाई गई है। आंकड़ों के अनुसार, 8 से 15 नवंबर के बीच पुराने नोटों से फर्नीचर की बिक्री भी करोड़ों में हुई है। इसके अलावा फर्नीचर के आयात में हवाले के माध्यम से पैसा हिंदुस्तान से चायना जाता है। इसीलिए प्राप्त शिकायतों के आधार पर ही वित्त मंत्रालय ने डीआरआई को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।

इन पर है नजर
मिस डिक्लेरेशन : आयात हुआ कुछ और बिल बना किसी और का, ताकि कस्टम ड्यूटी, सीवीडी, एंटी डम्पिंग ड्यूटी बचाई जा सके।
अंडर इन्वाइसिंग : यदि किसी उत्पाद की इन्वाइस एक करोड़ की है तो उसकी बिलिंग 25 या 50 लाख की कराई जाती है ताकि बाकी के 50 या 75 लाख रुपए पर टैक्स न देना पड़े।
अन्य नोटिफिकेशन : कुछ उत्पाद कस्टम ड्यूटी से मुक्त हैं उनके नाम पर बिलिंंग करवाकर फर्नीचर बुलवाए जाते हैं।

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