अमरीन खान इंदौर। पांच सालों की कानूनी लड़ाई के बाद आखिर मुंबई की हाजी अली दरगाह में प्रवेश पाने में महिलाएं कामयाब हुईं। वहीं शिर्डी के पास शनि शिंगणापुर मंदिर में भी प्रवेश के मामले में उन्हें कोर्ट से जीत मिली थी। लेकिन देशभर के कई धार्मिक स्थलों के साथ इंदौर की खजराना स्थित दरगाह और राजेंद्र नगर स्थित अंबावली माता मंदिर में आज भी महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है। कहीं महिलाओं और पुरुषों के एक साथ जाने पर संस्कृति आड़े आ रही है तो कहीं अपवित्रता की बात बीच में आ जाती है।
अदब की बात है
महिलाएं-पुरुष एक साथ अंदर जाएंगे तो अदब-कायदा नहीं रह जाएगा। ऐसी जगह कुछ नियम भी होते हैं, जिन्हें मानना जरूरी है।
- इदरिस कादरी, खादिम, नाहरशाह वली दरगाह
कुछ बातें मानना चाहिए
कहीं भी दरगाह के अंदर महिलाएं नहीं जातीं। यहां भी बरसों से ऐसा चला आ रहा है। कुछ बातें हैं, जिन्हें मानना चाहिए।
- निजामुद्दीन कादरी, खादिम
375 साल पुरानी दरगाह
खजराना में करीब 375 साल पुरानी नाहरशाह वली (सैयद गाजी नुरुद्दीन इराकी) की मजार है। यहां महिलाएं आज भी अंदर नहीं जा सकती हैं। यहां सदियों से यही नियम बने हैं। महिलाओं को मजार के बाहर ही रोक दिया जाता है।
सालों पुराना नियम
यह नियम सालों पहले बनाए गए हैं। जब से दरगाह बनी है, महिलाएं अंदर नहीं जातीं। यह नियम हमने नहीं बनाया। - हाजी नवाब खां पठान, सदर, नाहरशाह वली दरगाह
24 साल पुराना मंदिर
यह मंदिर राजेंद्र नगर के दत्त नगर में स्थित है। यह करीब 24 साल पुराना है। कुंवारी लड़कियों को तो प्रवेश की अनुमति है, पर शादीशुदा महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है। मानना है कि शादीशुदा महिलाओं के साथ कई ‘समस्याएं’ होती हैं।
वे बाहर से ही खुश हैं
मंदिर के अंदर सिर्फ कुंवारी कन्याएं ही जा सकती हैं। शादीशुदा महिलाओं के साथ कई समस्याएं होती हैं। इसलिए मंदिर में जाने नहीं देते। वे बाहर से ही पूजा कर खुश हैं। - पूरणसिंह परमार, मंदिर प्रमुख