कृष्णपाल सिंह इंदौर। सरकार के कहने पर इंदौर नगर निगम में काम करने वाले ठेकेदारों की अब एक श्रेणी और एक शुल्क लिया जाएगा। इसमें ठेकेदारों का जो अलग-अलग श्रेणी में पंजीयन किया जाता था वो अब करने की जरूरत नहीं है। सभी को एक धारा में रखा गया है, जिसमें उन्हें पांच हजार का शुल्क अदा करना होगा। ठेकेदार कार्य के लाइसेंस की श्रेणी और शुल्क एक ही कर दिया गया है। इसके अलावा दो से दस लाख रुपए तक लगने वाले शुल्क को भी समाप्त कर दिया गया है। इसके पीछे निगम की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा ठेकेदार निगम में आएं और अपनी पूरी ताकत से काम करें, ताकि सालों से चले आ रहे ठेकेदारों को बाहर का रास्ता दिखाने में भी आसानी हो और मोनोपॉली खत्म हो सके।
बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
ठेकेदारों की श्रेणी समाप्त करने से प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी। हर काम के लिए जहां इक्का-दुक्का ठेकेदार ही भाग लेते थे, अब ढेरों की संख्या में आएंगे। इससे निगम को ही फायदा होगा और कम कीमत में ज्यादा काम करवा सकेंगे। सड़क, सीवर लाइन या पानी की लाइन सहित अन्य कामों में चुनौतियां भी अधिक रहेगी और काम भी तेजी से हो सकेंगे। अगर कोई ठेकेदार लापरवाही या गड़बड़ी करता है तो उसे हटाकर दूसरे ठेकेदार को मौका दिया जाएगा।
कई ठेकेदार रसूखदारों के रिश्तेदार हैं
सूत्रों की मानें तो प्रदेशभर में कई नेताओं के रिश्तेदार ठेकेदारी कर रहे हैं। अधिकारी भी इन्हें प्राथमिकता देते थे, इस कारण नए ठेकेदारों को मौका नहीं मिल पाता था। इसमें ठेकेदारी पंजीयन के लिए वर्तमान में लागू अ, ब, स श्रेणी को समाप्त करते हुए एक ही श्रेणी में सभी ठेकेदारों को पंजीकृत किए जाने और पंजीयन शुल्क 25 हजार रुपए निर्धारित कर दिया है।
अब एक श्रेणी में बनेगा लाइसेंस
नगर निगम इंदौर द्वारा ठेकेदारी के व्यावसायिक लाइसेंस चार श्रेणी में दिए जाते थे। इसमें ए, बी, सी और डी शामिल थे, जिसमें पांच हजार, तीन हजार, दो हजार व एक हजार रुपए का शुल्क लेकर यह जारी किया जाता था। शासन से आदेश के बाद एक ही श्रेणी एवं एक ही शुल्क में इसे जारी किया जाएगा, जिसपर एमआईसी ने भी मोहर लगा दी है।
ये रहेगी नई व्यवस्था
वर्तमान में लागू अ, ब एवं स श्रेणी के पंजीयन को समाप्त करते हुए केवल एक ही श्रेणी में समस्त ठेकेदारों को केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत पंजीकृत किया जाए। इससे पंजीकृत ठेकेदार किसी भी टेंडर में भाग लेने के लिए पात्र रहेंगे।
वर्तमान में पंजीकरण के लिए ली जाने वाली सुरक्षा निधि जो दस लाख, पांच लाख और दो लाख है उसे समाप्त कर दिया गया।
ठेकेदारों से पंजीयन के लिए किसी प्रकार का कार्यानुभव प्रमाण-पत्र नहीं लिया जाए।
ठेकेदारों से पंजीयन शुल्क 25 हजार रखा है।
ठेकेदारों के पंजीयन की वैधता वर्तमान में पांच साल के साथ पर दस साल की जाती है। इसके बाद ठेकेदारों को पंजीयन को नवीनीकृत कराना होगा।
पांच हजार रुपए शुल्क निर्धारित
ठेकेदारों को लाइसेंस अब एक श्रेणी में ही जारी किए जा सकेंगे। इसमें शुल्क भी निर्धारित कर पांच हजार कर दिया गया है। शासन के आदेशों का पालन किया जाएगा। इसलिए पूरे मामले को एमआईसी में रखा गया।
- देवेंद्रसिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम