27 Apr 2024, 02:36:16 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। अपनी लीज और होटल बचाने के लिए सायाजी प्रबंधन जिस स्तर पर आ चुका है उसे देखते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) में बीते दिनों लगी आग की साजिश के पीछे सायाजी को जोड़कर देखा जाने लगा है। क्योंकि जितनी भी फाइलें जली हैं उनमें एकमात्र सायाजी की फाइलें ही ऐसी हैं जिनका नष्ट होना सायाजी के लिए जरूरी है। क्योंकि उसने अपने स्तर पर नए सिरे से दस्तावेज बनाना शुरू कर दिए हैं।

आईडीए की पहली मंजिल पर संपदा शाखा के कमरे में लगी आग साजिश और सवालों के घेरे में है। यह भी देखा जा रहा है कि आग में कौनसी फाइलें जलीं और उनके जलने का फायदा किसे हुआ। इसमें ‘सरकारी’ भागीदारी भी सवालों में है। इसी बीच सायाजी प्लाजा की 10 दुकानों का नगर निगम द्वारा गैरकानूनी तरीके से किया गया नामांतरण सामने आ गया, जिसने यह साबित कर दिया कि सायाजी प्रबंधन दुकानेंं री-पर्चेस कर रहा है ताकि वह आईडीए के सामने या कोर्ट में यह साबित कर सके कि उसने दुकानें बेची ही नहीं हैं। चूंकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश सेठ ने दुकानदारों की रजिस्ट्री के साथ शिकायत की थी, वह भी कमरा नं.104 में सायाजी की लीज निरस्ती की फाइल के साथ रखी थी। पुरानी नस्तियों के नष्ट हुए बिना सायाजी प्रबंधन द्वारा अपनी गलती का दस्तावेजी रूप से सुधार करना किसी काम का नहीं है।

आईडीए बैठकों में उलझा रहा, सायाजी नामांतरण में
आईडीए ने दिसंबर 2015 में होटल की लीज निरस्त की थी। इसके बाद से 4 नवंबर 2016 तक दर्जनभर बैठक हो चुकी हैं, जिनमें सायाजी की लीज को लेकर चर्चा हुई। ठोस निर्णय नहीं हुआ। उल्टा 28 जुलाई को सहायक क्लर्क और संपदा अधिकारी को सस्पेंड करना पड़ा, क्योंकि वे सायाजी को संबंधित दस्तावेज नहीं दे पाए थे।
इसी बीच सायाजी ने सितंबर में दुकानों की रजिस्ट्री कराई। 24 सितंबर को रजिस्ट्री रजवात कराई। 26 सितंबर को नामांतरण का आवेदन किया। 13 अक्टूबर को नामांतरण दाखिला कटा। 15 अक्टूबर को दो-दो हजार की नामांतरण रसीद काट दी गई। 20 अक्टूबर तक कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम पर पुराने नाम डिलीट कर सायाजी होटल्स प्रा.लि. का नाम चढ़ा दिया गया। इधर, 3 नवंबर की बोर्ड बैठक में भी सायाजी का मुद्दा था।
साजिश के शहंशाह सायाजी प्रबंधन नामांतरण को लेकर किसी जांच पर आशंकित भी थे, इसीलिए दुकानें सायाजी होटल्स के एम्प्लॉय और पूर्व डायरेक्टर के नाम की गई।

नामांतरण करा सकते हैं तो आग क्यों नहीं लगा सकते
माना जा रहा है कि जो सायाजी प्रबंधन कोर्ट में विचाराधीन मामलों के बावजूद निगम के राजस्व अधिकारियों को डेढ़ लाख रुपए देकर गैरकानूनी तरीके से 10 दुकानों का नामांतरण करवा सकता है, वह दुकानों पर अपनी मालिकी को नए सिरे से साबित करने के लिए आग क्यों नहीं लगा सकता।
आग पहली मंजिल पर लगी, जहां आसानी से जलता हुआ पदार्थ डालकर अपने काम को अंजाम दिया जा सकता है। आईडीए भी अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि आग में सायाजी से जुड़े कौन से दस्तावेज जलें, कौन से बचे?
इधर, बताया जा रहा है कि जिन लोगों से प्रबंधन दुकानें री-पर्चेस नहीं कर पाया है, उनसे संपत्ति किराए पर ले रहा है, ताकि मौका निरीक्षण की स्थिति में दुकानों में सायाजी के आदमी काम करते मिले। दुकान मालिकों की रजिस्ट्री को बैंक लोन के लिए अपनाया गया हथकंडा बताया जा रहा है।

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