रफी मोहम्मद शेख इंदौर। विद्यार्थियों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में पारदर्शिता लाने और घपलों पर लगाम कसने के शासन के तमाम प्रयासों के बावजूद इसमें सेंधमारी थम नहीं रही। सालभर पहले कॉलेजों के विद्यार्थियों से स्कॉलरशिप के फॉर्म भरवाए गए थे, जिसके अनुसार स्कॉलरशिप मंजूर हो गई। अब पूछा जा रहा है कि किन विद्यार्थियों ने दोनों सेमेस्टर की परीक्षाएं नहीं दीं, ताकि कॉलेज और डिपार्टमेंट राशि हड़प सकें।
स्कॉलरशिप बांटने वाले पिछड़ा वर्ग व कल्याण विभाग ने कॉलेजों को पत्र भेजकर ऐसे विद्यार्थियों की जानकारी मांगी है, जिन्होंने एडमिशन तो लिया, लेकिन दोनों सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं हुए। स्कॉलरशिप के संबंध में यह जानकारी न केवल सामान्य कोर्स वाले, बल्कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट वाले कॉलेजों से भी मांगी गई है।
स्वीकृत हो गई राशि
डिपार्टमेंट की प्रक्रिया अनुसार पिछले सत्र में अजा-जजा व पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों से स्कॉलरशिप के फॉर्म भरवाए गए थे। इनके आधार पर भोपाल से राशि स्वीकृत हो गई और शासन ने प्रत्येक जिले में विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार राशि आवंटित भी कर दी है।
मोटे कमीशन का खेल
सूत्रों का कहना है उक्त जानकारी मिलते ही डिपार्टमेंट द्वारा कॉलेजों से सेटिंग की जाएगी कि ऐसे विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप उनके अकाउंट में भेज देंगे, जिसके बदले मोटा कमीशन लिया जाएगा। कॉलेज को परीक्षा न देने वाले विद्यार्थी से फीस भी नहीं मिलती, ऐसे में स्कॉलरशिप की राशि उनके लिए फायदेमंद होती है। यही कारण है कि कई कॉलेज ऐसे विद्यार्थियों को आसानी से एडमिशन दे देते हैं।
...इसलिए अपनाया नया तरीका
अजा-जजा विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप में से कुछ अकाउंट में और कुछ कॉलेज के खाते में फीस के तौर पर जमा होती है। अब पिछड़ा वर्ग विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप के लिए भी यही व्यवस्था लागू कर दी गई। पहले इनकी पूरी राशि कॉलेज के खाते में जाती थी, जिससे शहर और प्रदेश के कई कॉलेजों में एक ही विद्यार्थी को दो-दो कोर्सेस में एडमिशन देकर उनकी स्कॉलरशिप हड़पने के मामले पकड़े गए थे। इसमें डिपार्टमेंट की मिलीभगत सामने आई थी, जिसकी पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने के बाद कार्रवाई का इंतजार है।