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शादी से पहले पति से कह दिया था हमें बेटा हो या बेटी, एक बेटी गोद लूंगी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 3 2016 11:22AM | Updated Date: Nov 3 2016 11:22AM
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अमरीन खान/विकास पांडेय इंदौर। एक साल की शौर्या जब मुस्कराती है तो हमारे चेहरे पर भी मुस्कराहट आ जाती है। जब वह तोतली जुबान में मां-मां कहती है तो लगता है सारी खुशियां मिल गर्इं। हमने शौर्या को नहीं बल्कि शौर्या ने हमें अपना लिया। बिचौली मर्दाना निवासी श्वेता पंडित समतानी और आशीष समतानी डेढ़ साल की जद्दोजहद के बाद अगस्त में शौर्या को गोद ले पाए। जो अब 14 महीने की हो चुकी हैं, जबकि उनकी नौ साल की बॉयलॉजिकल बेटी आर्या पहले से है। श्वेता ने बताया हमारी शादी के दस साल हो गए हैं। हमारी लव मैरिज थी। मैंने शादी से पहले ही पति से कह दिया था कि हमें बेटा हो या बेटी, एक बेटी गोद जरूर लूंगी।  बचपन में जब मैं पापा के साथ अनाथाश्रम जाती थी तो ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करती थी कि मेरे पास माता-पिता हैं। फिर ये ख्याल आता था कि इन बच्चों की गलती क्या है। जो ये माता-पिता के प्यार से महरूम हैं। तब ही निर्णय ले लिया था कि एक बेटी जरूर गोद लूंगी।

परिवार की वजह से पहला बच्चा अपना
श्वेता ने बताया, आशीष चाहते थे कि परिवार की संतुष्टि के लिए पहला बच्चा अपना ही होगा, चाहे वो बेटा हो या बेटी। आशीष आईटी में जॉब करते हैं जबकि मैं कंस्ट्रक्शन फील्ड बतौर ब्रांच मैनेजर काम कर रही थी। हमने सोच लिया था कि जब आर्या पांच-छह साल की हो जाएगी, समझने लगेगी तो हम उसे बता देंगे। हमने परिवार में किसी को नहीं बताया कि दूसरी बेटी गोद लेने जा रहे हैं। हम जानते थे यदि बताएगें तो संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए सिर्फ आर्या को ही बताया।

संजीवनी संस्था में करवाया रजिस्टर्ड
हमने डेढ़ साल पहले संजीवनी संस्था में खुद को रजिस्टर्ड करवाया। प्रक्रिया निभाई। हमारे घर सामाजिक कार्यकर्ता आए। आॅनलाइन रजिस्टर्ड होने के बाद उन्होंने जानकारी ली, बेटा चाहिए या बेटी। हम वेटिंग में थे। अगस्त में हमारा नंबर आया। तब तक भी हमने परिवार को नहीं बताया।

कॅरियर से ज्यादा बेटी जरूरी
श्वेता ने बताया, हमने किसी को इसलिए नहीं बताया क्योंकि लोग सवाल करते हैं। पहला सवाल क्यों? फिर लड़की ही क्यों? शौर्या प्री मेच्योर होने से ज्यादा कमजोर थी। ब्रांच मैनेजर होने से मुझे  अकसर टूर करना होते थे। शौर्या को अकेले छोड़कर जाना ठीक नहीं लगा। इसलिए जॉब छोड़ दी। तीन सालों में मेरा वेतन 15 से 55 हजार रुपए हो गया। जल्द इन्क्रीमेंट कर बतौर रीजनल मैनेजर मुंबई भेजने वाले थे। परिवार ने कहा जॉब क्यों छोड़ना। मेरे लिए जॉब से ज्यादा जरूरी मेरी बेटी है। जब आर्या हुई थी तब हमारे पास कुछ नहीं था। आज हमारे पास अपना घर है गाड़ी है।

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