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मेडिकल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स से वसूल रही 17 लाख रुपए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 29 2016 10:23AM | Updated Date: Oct 29 2016 10:23AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। मध्यप्रदेश मेडिकल साइंसेस यूनिवर्सिटी जबलपुर के मनमर्जी के नित नए फरमानों से एमबीबीएस से लेकर एमडी तक में पढ़ रहे विद्यार्थी हैरान-परेशान हैं। इसका काम भले ही मेडिकल के विद्यार्थियों की परीक्षा लेने का है, लेकिन फीस के रूप में सुपर स्पेशलिटी कोर्सेस विद्यार्थियों से 17 लाख रुपए तक वसूल रही है। खास बात यह है कि इसमें न केवल एनआरआई बल्कि सामान्य विद्यार्थी भी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें भी यूनिवर्सिटी में हजारों रुपए जमा करना पड़ रहे हैं।

मेडिकल यूनिवर्सिटी ने हाल ही में एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे विद्यार्थियों को नई फीस भरने का आदेश जारी किया है। इसमें ई-कंसोर्टियम फीस, लाइब्रेरी फीस, स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एक्टिविटी फीस, स्टूडेंट वेलफेयर फंड और यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फीस भरने को कहा गया है। एमबीबीएस के एनआईआर स्टूडेंट के लिए यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली फीस चार लाख 68 हजार पांच सौ रुपए है, तो सुपर स्पेशलिटी पीजी विद्यार्थी को यूनिवर्सिटी में 16 लाख 69 हजार रुपए भरना है। यूनिवर्सिटी ने इसे भरने की आखिरी तारीख 15 नवंबर निश्चित की है।

नामांकन में भी लूट

यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने पर विद्यार्थी को नामांकन करवाना होता है, जिसकी सामान्य फीस देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 200 रुपए है, लेकिन मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में मैनेजमेंट कोटे से प्रवेश प्राप्त विद्यार्थी के लिए यह 10 हजार रुपए और एनआरआई कोटे के विद्यार्थी के लिए 80 हजार रुपए है, जबकि पीजी स्टूडेंट के लिए क्रमश: 80 हजार और तीन लाख 34 हजार रुपए है। एक सामान्य विद्यार्थी को भी कम से कम 25 हजार रुपए यूनिवर्सिटी में जमा करना है।

मल्टीपल में बढ़ रहा शुल्क

फीस के लिए यूनिवर्सिटी ने जो नियम बनाया है वह भी अनूठा है। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थी के लिए जितनी फीस निश्चित की गई है, उससे ढाई गुना ज्यादा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी को देना है। वहीं गवर्नमेंट कॉलेज के मुकाबले प्राइवेट कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे से भर्ती हुए विद्यार्थियों को पांच गुना शुल्क देना है। वहीं एनआरआई कोटे में कम से कम 1000 डॉलर शुल्क है। पीजी और सुपर स्पेशलिटी विद्यार्थियों का शुल्क भी एमबीबीएस के मुकाबले सीधे चार गुना है। मेडिकल में पढ़ रहे विद्यार्थी यूनिवर्सिटी की इस मनमानी से परेशान हैं।

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