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गर्भ के जुड़वां बच्चों को बताया एक, डॉ. पर 50 हजार रु. जुर्माना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 28 2016 10:41AM | Updated Date: Oct 28 2016 10:41AM
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अनूप सोनी इंदौर। मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के डॉ. सनत मुखर्जी की लापरवाही से एक महिला को उसके गर्भ में पल रहे दो शिशुओं की जानकारी नहीं मिल पाई, डॉक्टर ने सोनोग्राफी रिपोर्ट देखकर सिर्फ एक शिशु बताया था। फोरम ने इस मामले में डॉक्टर को आदेश दिया है कि वह महिला को 50 हजार रुपए प्रतिकर की राशि अदा करे। साथ ही परिवाद खर्च ढाई हजार रुपए भी दे।

दौलतगंज निवासी नजमा बी पति सद्दाम ने सर सेठ हुकमचंद चिकित्सालय, डॉ. शरद पंडित, डॉ. शैफाली ओझा, डॉ. मुखर्जी और ओरिएंटल इंश्युरेंस कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस लगाया था। इसमें नजमा बी ने कहा था कि वह गर्भवती होने के बाद पहली बार 11 नवंबर 2011 को स्व. सर सेठ हुकमचंद शासकीय चिकित्सालय में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ओझा से चेकअप करवाने गई थी। इसके बाद वह कई दिनों तक डॉ. शैफाली से ही विभिन्न तरह का उपचार लेती रही। 17 फरवरी 2012 को डॉ. ओझा ने सोनोग्राफी करवाने की सलाह दी, पीड़ित चिकित्सालय में ही जांच करवाना चाहती थी लेकिन डॉ. ओझा ने उसे मातृ एवं शिशु चिकित्सालय रेफल टॉवर ओल्ड पलासिया भेज दिया। यहां डॉ. सनत मुखर्जी ने सोनोग्राफी कर बताया कि गर्भ में एक शिशु है और उसका जन्म 13 अप्रैल 2012 के आसपास होगा। सोनोग्राफी की रिपोर्ट भी उसे दी गई। नजमा बी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे चंद्रावतिगंज स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया, जहां 4 मार्च 2012 को उसने बेटी को जन्म दिया। जन्म देने के बाद पीड़ित का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ने उसे उज्जैन रैफर किया। उज्जैन के पुष्पा मिशन हॉस्पिटल में सोनोग्राफी की तो पता चला नजमा बी के गर्भ में एक और शिशु है। इसके बाद सामान्य प्रसव से पीड़ित ने मृत शिशु को जन्म दिया था।

यह थी फोरम से मांग
पीड़ित ने फोरम के अध्यक्ष अमनीश कुमार वर्मा, सदस्य नरेंद्र कुमार जैन और नीता श्रीवास्तव के समक्ष आवेदन पेश कर कहा था कि डॉ. ओझा ने शासकीय सेवा देने के बजाय अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से डॉ. सनत मुखर्जी के पास जांच के लिए भेजा था। फोरम से मांग की थी कि विपक्षीगण से प्रतिकर की राशि 10 लाख रुपए और परिवाद खर्च 10 हजार रुपए दिलवाए जाएं।

ब्याज भी देना पड़ेगा                                                                                                                                                        उपभोक्ता फोरम ने डॉ. सनत मुखर्जी को आदेश दिया है कि वह दो महीने के अंदर पीड़ित को 50 हजार रुपए अदा करे। यदि इस अवधि में डॉक्टर ने उक्त राशि नहीं दी तो डॉक्टर को अक्टूबर से ब्याज भी देना पड़ेगा।

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