रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 2012 के बाद दैनिक वेतनभोगी के रूप में नौकरी में लगे कर्मचारियों को अब हटाया जा रहा है। इसके पीछे चार साल पहले जारी आदेश को आधार बनाया गया है, जिसमें नई भर्तियों पर पूरी तरह रोक लगाई गई थी। पुराने अधिकारी और एचओडी इस आदेश को दबाकर बैठे रहे और यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की नियुक्तियां होती रही।
2012 में राज्य शासन के निर्देश के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर बताया था कि वो किसी भी सूरत में नए दैनिक वेतनभोगियों को नियुक्ति नहीं दे। इस पत्र को तत्कालीन रजिस्ट्रार अन्य अधिकारियों और सभी डिपार्टमेंट को भेजा गया। इसका तुरंत पालन करने को कहा गया था।
फाइल आई तो सामने आए
यूनिवर्सिटी में चार साल तक पदस्थ रहे अधिकारियों और डिपार्टमेंट हेड ने इस आदेश और नियमों को ताक में रखते हुए दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की नियुक्तियां कर दी। इसके बाद इनका वेतन भी लगातार यूनिवर्सिटी से निकाला जाता रहा। अब डॉ. वी.के. सिंह ने प्रभारी रजिस्ट्रार के रूप में ज्वॉइन किया तो उनके सामने दैनिक वेतनभोगियों के वेतन की फाइल आई। उन्होंने जब इनकी नियुक्ति दिनांक का पता किया तो मालूम हुआ यह 2012 के बाद की नियुक्तियां हैं।
पुराने आदेश खंगाले
इससे इनके वेतन की फाइल रोक दी गई और पुराने आदेश खंगाले गए। इस पर इस आदेश के हवाले से इनकी नियुक्ति को निरंतर नहीं किया गया। इसमें न केवल मूल्यांकन सेंटर बल्कि उसके साथ ही कई अन्य डिपार्टमेंट के कर्मचारी भी शामिल हैं। कुलपति ने भी इस मामले में जांच के बाद ही किसी भी फाइल को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार करीब 15 कर्मचारियों को इस नियम के आधार पर बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
कहां से होगी प्रतिपूर्ति
बड़ा प्रश्न यह है कि अब इन कर्मचारियों की नौकरीकाल में जारी किए गए वेतन की प्रतिपूर्ति तत्कालीन अधिकारियों और डिपार्टमेंट हेड के वेतन से होगी या नहीं। उधर यह कर्मचारी प्रश्न उठा रहे हैं कि अगर नियम नहीं था तो हमें नौकरी पर क्यों रखा।
स्पष्ट आदेश था
शासन का स्पष्ट आदेश था कि 2012 के बाद दैनिक वेतनभोगियों की नियुक्ति नहीं की जाए। इसके बाद कुछ नियुक्तियां हो गई। अब यह हमारी जानकारी में आई हैं तो इन्हें निरंतर नहीं किया जा रहा है।
- वी.के. सिंह, रजिस्ट्रार, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी