27 Apr 2024, 05:00:49 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरह गरीब के घर खाना खाकर सुर्खियों में आए विधायक जीतू पटवारी और उनके समूह को गरीबों की कितनी चिंता है इसका अंदाजा शुभम रेसीडेंसी से लगाया जा सकता है। 2011 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने ईडब्ल्यूएस यूनिट के साथ शुभम रेसीडेंसी का नक्शा मंजूर किया था। पांच साल के भीतर ही रेसीडेंसी के 228 में से 226 फ्लैट बिक चुके हैं लेकिन ईडब्ल्यूएस पर काम तक शुरू नहीं हुआ।

ग्राम बिजलपुर के सर्वे नंबर 105/1/1 की 1.002 हेक्टेयर (107854 वर्गफीट) जमीन पर 14 फरवरी 2011 को टीएंडसीपी ने पटवारी रियल एस्टेट प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर भारत पटवारी (जीतू के भाई) के नाम ले-आउट मंजूर किया था।  इसमें कुल 5080 वर्गफीट की ईडब्ल्यूएस यूनिट मंजूर की गई थी। बिल्डिंग जी+2 बनना थी। टाउनशिप के ब्लॉक ए-1, ए-2, बी-1, बी-2, सी-1 और सी-2 में शुभम डेवलपर्स ने 2011 से अब तक पी+6 टॉवर खड़े करके 228 फ्लैट बनाए और 226 बेच भी दिए। बतौर खरीदार रेसीडेंसी में बने कंपनी के आॅफिस में दबंग टीम ने बात की तो पता चला कि यहां 2-बीएचके के दो फ्लैट ही बचे हैं, जो बिकना है।   

अनिवार्य थे गरीब: नगर पालिक कॉलोनाइजर निर्बंधन तथा शर्तें नियम 1998 के तहत शेल्टर टैक्स जमा करने का विकल्प मान्य करते हुए 13 सितंबर 2010 को यहां के लिए बहुआवासीय अपार्टमेंट का ले-आउट मंजूर किया था। 19 अपै्रल 2010 को मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में संशोधन हुआ, जिसके आधार पर नगर निगम ने शेल्टर टैक्स को मान्य नहीं किया। निगम ने 23 नवंबर 2010 को पत्र 2160 और 25 नवंबर 2010 को पत्र 4705 से बताया कि मप्र नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक 2010 के अनुसार आश्रय शुल्क का विकल्प खत्म कर दिया गया है, इसलिए प्रस्ताविट टाउनशीप में संशोधित विधेयक के अनुसार ईडब्ल्यूएस और एलआईजी बनाना ही होंगे।

यहां क्या बनेगा, सिर्फ प्लानिंग चल रही है
टाउनशिप के पिछले हिस्से में करीब 12000 वर्गफीट जमीन खाली पड़ी है। इसमें में 3850 वर्गफीट जमीन पर गार्डन विकसित है जबकि बाकी 7500 वर्गफीट जमीन ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के लिए आरक्षित है। कंपनी के कारिंदों से खरीदार जब पूछता है कि यहां क्या प्लान है तो जवाब मिलता है कुछ कुछ प्लानिंग चल रही है।

मुश्किल है गरीबों के घर
> टाउनशिप में 3000 रुपए/वर्गफीट की दर से फ्लैट बेचे जा रहे हैं। 228 परिवार यहां रह रहे हैं। ऐसे में गरीबों के फ्लैट बन जाएंगे इसकी संभावना कम है।
> छह सेक्टर बन चुके हैं और प्रस्तावित जमीन सबसे पीछे है। पटवारी रियल एस्टेट प्रा.लि. और शुभम डेवलपर्स प्रा.लि. गरीबों के फ्लैट बनाने के बजाय पीछे एक सेक्टर और बनाकर बेच सकते हैं।
> मनीष कालानी तो अपनी कॉलोनी में बसाहट बाद में करते हैं पहले गरीबों के लिए ईडब्ल्यूएस यूनिट बनाते हैं, लेकिन जीतू उनसे एक कदम आगे निकले।

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