मुनीष शर्मा इंदौर। शहर की पहली निजी यूनिवर्सिटी ओरिएंटल कई माह से बगैर कुलपति के चल रही है। फरवरी में कुलपति इस्तीफा देकर गए थे तब से यह पद रिक्त है। दो वरिष्ठों को ज्वाइन कराने के प्रयास जरूर हुए, लेकिन यहां का काम देखकर उन्होंने रुकना ही मुनासिब नहीं समझा।
सिर्फ कुलपति ही नहीं बल्कि यहां रजिस्ट्रार, डीन-स्टूडेंट वेलफेयर, लॉ डिपार्टमेंट, फॉर्मेसी, बीएड व अन्य कोर्सेस में भी फेकल्टी की काफी कमी है। हालांकि यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति इन सभी बातों का खंडन करते हैं। जहां यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सारी सुविधाओं की बात करते हैं, दूसरी तरफ मप्र निजी विश्वविद्यालय आयोग खुद इस यूनिवर्सिटी से परेशान है। उनके पास भी ढेरों शिकायतें आ रही हैं।
छात्र आते नहीं, डिग्री दे देते हैं
यूनिवर्सिटी को लेकर यह भी आरोप लगते हैं कि यहां कुछ छात्रों से अघोषित रूप से यह अनुबंध किया जाता है कि वे सिर्फ परीक्षा के समय ही उपस्थित होंगे। ऐसे छात्रों से अतिरिक्त फीस वसूली जाती है। इसे लेकर कहा जाता है कि यूनिवर्सिटी डिग्री बेचने का काम कर रही है। सख्ती से जांच हो तो सारी बातें सामने आ सकती हैं।
10 माह से नहीं रजिस्ट्रार
कुलपति एचएस यादव के फरवरी 2016 में जाने के बाद यूनिवर्सिटी ने बाद में दो लोगों को बैठाया भी, लेकिन सरकार के पास फाइल भेजी जाती तब तक दोनों यहां के काम देखकर चौंक गए। इसके बाद इन्होंने यहां ज्वाइन ही नहीं किया। रजिस्ट्रार को लेकर भी यही बात आती है। सूत्रों के अनुसार आशीष जैन ने बतौर रजिस्ट्रार दिसंबर 2015 में इस्तीफा दिया था, तब से यहां कोई रजिस्ट्रार नहीं है। डीन-स्टूडेंट वेलफेयर का पद भी मई 2016 से रिक्त है। लॉ डिपार्टमेंट में छात्रों के लिए 240 सीट आवंटित है, लेकिन इस विभाग को लेकर भी आरोप यही लग रहे हैं कि यहां पढ़ाने वाले ही नहीं है। यही स्थिति फॉर्मेसी व बीएड के साथ अन्य कोर्सेस में भी बताई जा रही है।
ऐसे पकड़े जा सकते हैं मामले
पांच साल पहले से यह यूनिवर्सिटी काम कर रही है। सरकार भी इसके कामकाज से नाराज है। यदि वह पिछले पांच सालों के रिकॉर्ड खंगालेगी तो कई राज सामने आएंगे। यदि यूनिवर्सिटी कहती है फेकल्टी है तो उनका वेतन देखा जा सकता है। कई बार यह भी होता है कि संबंधित फेकल्टी को पता नहीं और उसके नाम से बैंक खाता खोलकर वेतन डालकर निकाला जाता है। ऐसे में बयान लेकर भी सही स्थिति का पता किया जा सकता है। यदि ऐसा हो रहा होगा तो पुलिस प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है। यही स्थिति स्टूडेंट्स से भी पता की जा सकती है। जब इनके बयान होंगे तो पता चलेगा कि वे कहां रहे और इंदौर के जिस पते पर वे अपना निवास बता रहे हैं वहां जाकर चेकिंग की जा सकती है। मोबाइल लोकेशन भी इसमें मददगार रहेगी।
सभी आरोप गलत
हमारे यहां सारी फैकल्टी है। कुलपति को लेकर हमने शासन को पत्र लिखा है। एसआर सिंह प्रभारी कुलपति हैं। प्रदीप शर्मा को रजिस्ट्रार बनाया गया है। डिग्री बेचने वाली बात सहित अन्य सभी आरोप गलत हैं।
- डॉ. केएल ठकराल, कुलाधिपति
आ रही हैं शिकायतें
ओरिएंटल यूनिवर्सिटी की हमारे पास भी कई शिकायतें आई हैं। हम समझ नहीं पा रहे कि इसका क्या किया जाए? हमने कई बार स्थिति सुधारने को कहा, लेकिन काम व्यवस्थित नहीं हुआ।
- डॉ. अखिलेश कुमार पांडे
चेयरमैन, मप्रनिविवि आयोग