आदित्य शुक्ला इंदौर। शारदीय नवरात्र महोत्सव इस वर्ष तिथि में घट-बढ़ के चलते नौ के बजाय 10 दिन मनाया जाएगा। दशहरा पर्व पर अबूझ मुहूर्त के साथ चार दिन सर्वार्थसिद्ध योग का अनूठा संयोग बन रहा है, इसलिए इस बार नवरात्र विशेष फलदायी साबित होगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रभूषण व्यास ने बताया नवरात्र महोत्सव 1 अक्टूबर से शुरू होगा, जबकि नवमी 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस तरह नौ दिवसीय नवरात्र में प्रथमा तिथि दो दिन रहने से नवरात्र पर्व 10 दिवसीय मनाया जाएगा। पंचांगों के हिसाब से बढ़ती नवरात्र सदैव सर्वहितकारी होती है। उस पर दशहरा पर्व 11 अक्टूबर को अबूझ मुहूर्त बनेगा। अर्थात उस दिन कोई भी शुभ कार्य बगैर मुहूर्त देखे करने पर भी वह फलीभूत होगा। इसके अलावा नवरात्र महोत्सव में 5 अक्टूबर को चतुर्थी के दिन सर्वार्थसिद्ध योग रहेगा। इसी तरह 6 अक्टूबर को ललिता पंचमी मनाई जाएगी। 9 को अष्टमी तिथि और 10 अक्टूबर को दुर्गा नवमी के दिन सर्वार्थसिद्ध योग रहेगा। हालांकि नवरात्र महोत्सव में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करना विशेष फलदायी होता है।
सभी कार्य सिद्ध करने वाला योग
पंडित व्यास के मुताबिक ज्योतिष में सर्वार्थसिद्ध योग सर्वकार्य सिद्ध करने वाला माना जाता है। जिस दिन यह योग हो, उस दिन संपत्ति खरीदी, नामांतरण, नींव पूजन, विवाह संबंध तय करना, गृह प्रवेश करना आदि कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। ऐसे मुहूर्त में किए गए कार्य सदैव फलदायी साबित होते हैं।
दशहरा पर भी अबूझ मुहूर्त उन्नतिदायक
पंचांगानुसार दशहरा पर्व के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। उस दिन किया गया कोई भी कार्य कई गुना उन्नति प्रदान करता है। इसमें किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त जानने की आवश्यकता नहीं होती।
अंबे की आराधना
नवरात्र में माता अंबे की आराधना होती है। नौ दिन में माता के नौ स्वरूपों की आराधना करने से साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मंत्र-तंत्र की सिद्धि भी प्राप्त होती है। इसके चलते ही शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व माना गया है।