विनोद शर्मा इंदौर। शहर के बदनाम बिल्डरों में से एक किरण देशमुख ने दो भागीदारों के साथ एक कंपनी बनाई। अनुबंध के विपरीत अकेले ही लेन-देन करते रहे। गड़बड़ उजागर होने की आशंका में जून 2013 में कंपनी से रिटायरमेंट ले लिया, लेकिन जून 2014 तक साइन करके बैंक से पैसा निकालते रहे। भागीदारों की फर्जी साइन करके देशमुख ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा निकाले। वहीं एक अन्य भागीदार अंकित श्रीवास्तव ने बालेबाले ही पालाखेड़ी में कंपनी के नाम से जमीन खरीदकर टाउनशिप बना दी। इसका खुलासा मंगलवार को डीआईजी के पास पहुंची एक भागीदार की शिकायत में हुआ। शिकायत के आधार पर डीआईजी ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
2013 में लिया था रिटायरमेंट
8 अगस्त 2012 को स्वास्तिक रीजेंसी नाम से कंपनी बनी। किरण देशमुख, अंकित श्रीवास्तव और उस्मान पटेल के बीच पार्टनरशिप डीड साइन हुई। डीड के अनुसार लेन-देन के काम तीनों की साइन से होंगे। तीनों ही अकाउंट आॅपरेट करेंगे। इसके विपरीत देशमुख और श्रीवास्तव उस्मान के कम पढेÞ लिखे होने का फायदा उठाते रहे और बाले-बाले लेनदेन करते रहे। 10 महीने बाद 19 जून 2013 को देशमुख ने कंपनी से रिटायरमेंट ले लिया। भानजे अतुल फिरके को अपनी जगह डायरेक्टर बना दिया। इसके बाद भी बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के साथ 18 जून 2014 तक देशमुख कंपनी के देना बैंक स्थित खाते में आरटीजीएस और चेक से लेन-देन करते रहे। देशमुख ने 29 अपै्रल 2014 को 8.92 लाख, 17 जून 2014 को 28.81 लाख, 18 जून 2014 को 28.81 लाख और 20 जून 2014 को भी 28.81 लाख का लेन-देन किया।
नोटिस दिया, जवाब मिला मैंने नहीं किया लेनदेन
खुलासे के बाद 31 अगस्त 2016 को उस्मान पटेल ने देशमुख, अंकित और अतुल फिरके को नोटिस दिया। इसके जवाब में अंकित ने वॉल स्ट्रीट की जमीन दी। जबकि देशमुख ने कहा कि मैंने कोई लेन-देन नहीं किया। इसके बाद उस्मान ने जून 2013 से जून 2014 के बीच देना बैंक पहुंचे उन चेक की एक्सपर्ट से जांच कराई जिन पर उनके तथाकथित और देशमुख के दस्तखत थे। डॉक्युमेंट एंड फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट योगिता सिंह ने अपनी रिपोर्ट में देशमुख के हस्ताक्षर सही बताए। वहीं उस्मान पटेल के सिग्नेचर को फर्जी करार दिया।
केडी का कर्मचारी अमित का गवाह
29 अप्रैल 2015 को स्वस्तिक रीजेंसी तर्फे अंकित श्रीवास्तव और अमित मानुरकर के बीच एक प्लॉट के लिए साइन हुए विक्रय लेख में अंकित की तरफ से गवाह के रूप में सतीश गौहर के दस्तखत हैं। सतीश का पता 409-410 नवनीत प्लाजा लिखा है जो कि किरण बिल्डर्स एंड डेवलपर्स का पता है। सतीश यहां काम करता है।
अंकित ने भी दिया धोखा
धोखाधड़ी के आरोप में कुछ दिन पहले ही जेल से रिहा हुए अंकित श्रीवास्तव ने यहां भी धोखे का धंधा जारी रखा। देशमुख के रिटायर्ड होने के बाद कंपनी की जिम्मेदारी संभाली। उस्मान को जानकारी दिए बिना पालाखेड़ी में तीन खसरों की 3.05 लाख वर्गफीट जमीन खरीदी। 2013 में यहां सेंट्रल आईटी कॉरिडोर के नाम से टाउनशिप का काम शुरू कर दिया। जब उस्मान को पता चला और उन्होंने अपना हक मांगा तो अंकित ने 27 जुलाई 2015 एमओयू करते हुए 15 फ्लैट उस्मान पटेल को दे दिए जो कि विकास अनुमति के लिए एसडीएम कार्यालय में धरोहर के रूप में आरक्षित थे। जानकारी लगने के बाद उस्मान ने आपत्ति ली और पुलिस कार्रवाई की धमकी दी। 3 सितंबर 2016 को अंकित ने पालाखेड़ी की जमीन के बदले लाइफलाइन हॉस्पिटल के पास प्रस्तावित वॉल स्ट्रीट में दूसरी मंजिल पर 7300 वर्गफीट माल देना स्वीकारा। इस जमीन को लेकर भी अंकित कई लोगों से अनुबंध कर चुका है।
भरोसा करता था, जिसका फायदा उठाया
दोनों पर भरोसा था, लेकिन दोनों ने मेरे कम पढ़े लिखे होने का फायदा उठाया। कंपनी में करीब 75 लाख रुपए लगे हैं। अब तक न जमीन मिली। न ही पैसा।
-उस्मान पटेल
डायरेक्टर, स्वास्तिक रिजेंसी
सूदखोर है उस्मान, 50 लाख देकर, तीन करोड़ मांग रहा है
जो आरोप लगाए हैं ऐसा कुछ नहीं है। पूरा सूदखोर है। मुझे ब्लैकमेल कर रहा है। 2013 में 50 लाख लगाए जो मैंने लिए थे। तीन करोड़ का हिसाब निकाल रहे हैं। 90 लाख से ऊपर का कोई लेनदेन नहीं है। यह राशि उस्मान जब चाहे ले ले। मैं गैरवाजिब पैसा नहीं दूंगा।
-अंकित श्रीवास्तव, डायरेक्टर