कपिल राठौर इंदौर। सोमवार शाम जिला जेल में अजीब हालात बने। खजराना पुलिस एक मेहमान को जेल में जमा करने पहुंची तो जेल अफसर सकपका गए। वे दाएं-बाएं देखने लगे। फिर हड़बड़ाकर बोले, इसे तो हॉस्पिटल ले जाओ और लिखाकर लाओ कि ये ‘क्या’ है और इसे कहां रखें।
अफसरों के इस फरमान से साथ गई पुलिस भी सकपका गई। खैर, तत्काल पुलिस ने जेल से अस्पताल की तरफ कूच किया। बड़े अस्पताल पहुंचे तो वहां नई उलझन खड़ी हो गई। डॉक्टर बोले हम क्यों लिखकर दें कि ये ‘क्या’ है। जेल वाले जो चाहे इंतजाम करें। अलग बैरक बनाएं। हम पार्टी नहीं बनेंगे। रात एक बजे तक वो मेहमान हॉस्पिटल के गलियारों में पुलिस की संगत में घूमता रहा लेकिन उसके ‘क्या’ होने का नतीजा नहीं मिला। टीआई खुद इस गंभीर सवाल के जवाब की तलाश में बड़े अस्पताल पहुंच गए थे।
आज आठ डॉक्टरों की टीम लेगी फैसला
अब जानिए पूरी कहानी। मेहमान था नीरज (26 साल) नाम का किन्नर। जो गाडराखेड़ी में रहता है और खजराना क्षेत्र में चोरी के आरोप में बंद हुआ था। शुरुआती तफ्तीश के बाद पुलिस ने इसे कोर्ट में पेश किया जहां से इसे जेल भेजने के आदेश हुए। पुलिस जेल लेकर पहुंची तो जेल टीम ने सवाल उठाया कि इसे किस बैरक में रखें-पुरुषों की या महिलाओं की? आपने इसे महिला के रूप में गिरफ्तार किया है या पुरुष के रूप में। मेहमान की नस्ल को लेकर उठे इस तकनीकी सवाल का पुलिस के पास भी कोई जवाब नहीं था। वो सकपका गए। तय हुआ कि इसे एमवायएच भेज दिया जाए। वहां से डॉक्टर जो परिणाम देंगे वो दोनों पक्षों को मान्य होगा। उधर, डॉक्टरों का रुख ‘नोटा’ वाला था, मतलब इनमें से कोई नहीं। लेकिन वो ‘नोटा’ भी लिखकर देने को तैयार नहीं थे। आठ घंटे की मशक्कत के बाद तय हुआ कि इसकी सोनोग्राफी करवाई जाए। देर रात यह प्रक्रिया हुई। उसमें भी परिणाम बताने से डॉक्टरों ने इनकार कर दिया। अब मंगलवार को आठ डॉक्टरों की टीम सोनोग्राफी रिपोर्ट पर निर्णय लेगी। तब तक मेहमान की नस्ल का फैसला मुल्तवी कर दिया गया और उसे महिला थाने में भेज दिया गया।