रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एक बार फिर निजी कॉलेजों का हस्तक्षेप शुरू हो गया है। अभी तक वे बाहर से यूनिवर्सिटी चलाते थे, लेकिन अब परीक्षा और गोपनीय विभागों तक पैठ बनाकर मनमर्जी से परीक्षा की तारीखें तक तय करने लगे हैं। उधर, अधिकारी इन सबसे अनजान बने हुए हैं। अरबिंदो मेडिकल ग्रुप से जुड़े डॉ. आनंद मिश्रा इसकी अगुवाई कर रहे हैं। उन्हें मूल्यांकन सेंटर में फिर से मेडिकल सेक्शन ओएसडी का चार्ज भी सौंप दिया गया है, जबकि वे यूनिवर्सिटी में अपने कॉलेज और ग्रुप से संबंधित काम करते हैं।
बुधवार को यूनिवर्सिटी में परीक्षा और गोपनीय विभाग ने मास्टर आॅफ डेंटल सर्जरी (एमडीएस) की परीक्षा का विवाद सुलझाने के लिए बैठक बुलाई थी। इसमें चारों डेंटल कॉलेजों के प्रिंसिपल को बुलाया गया था। बैठक में गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. देशराज जैन, माडर्न डेंटल कॉलेज के डॉ. वीपी बंजारी और राऊ डेंटल कॉलेज के डॉ. निर्वाण पहुंचे थे।
पहले ही कर ली बैठक
बैठक तीन बजे होना थी, लेकिन ये सदस्य उससे पहले ही पहुंच गए। इस बैठक को को-आॅर्डिनेट करने का काम परीक्षा या गोपनीय विभाग के उपकुलसचिव स्तर के अधिकारी करते हैं, लेकिन बुधवार की बैठक में यह काम अरबिंदो फिजियोथैरेपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आनंद मिश्रा ने किया। इसके बाद डॉ. मिश्रा सदस्यों के साथ नीचे आए और परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी को बताया कि बैठक हो चुकी है और परीक्षा की तारीखें तय कर ली गई हैं। खास बात यह है कि बैठक के लिए अरबिंदो डेंटल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. के. अय्यर जब परीक्षा नियंत्रक डॉ. तिवारी के पास पहुंचीं तब तक खुद उन्हें भी नहीं पता था कि बैठक शुरू हो चुकी है। डॉ. तिवारी ने उन्हें गोपनीय विभाग में जाने को कहा, उसी समय डॉ. मिश्रा यहां पहुंचे तो मालूम हुआ कि बैठक हो चुकी है।
अधिकारियों को जानकारी नहीं
न केवल परीक्षा नियंत्रक बल्कि गोपनीय विभाग के उपकुलसचिव अजय वर्मा और प्रिंसिपल डॉ. देशराज जैन भी यह नहीं बता सके कि डॉ. मिश्रा किस हैसियत से बैठक में शामिल हुए थे। वे न तो अरबिंदो डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल हैं न यूनिवर्सिटी के अधिकारी। उन्होंने परीक्षा की तारीख कैसे तय करवा दी? जबकि उनके संस्थान की प्रिंसिपल खुद बैठक के लिए आई थीं। इधर, अधिकारियों को यह बात पता नहीं होना भी कई सवाल खड़े कर रही है। यानी डॉ. मिश्रा ने स्वयंभू तरीके से यह बैठक आयोजित करवा ली। जानकारी के अनुसार, वे मेडिकल की सभी बैठक में ऐसे ही उपस्थित रहते हैं जबकि मिश्रा केवल यूनिवर्सिटी में ओएसडी के रूप में कार्यरत हैं, जिसका काम मूल्यांकन सेंटर तक ही सीमित रहता है।
फिर से मूल्यांकन सेंटर में प्रभार
मूल्यांकन सेंटर में यह सिस्टम रहा है कि ओएसडी को उसके विषय के अतिरिक्त दूसरे विषय का प्रभार दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार के भेदभाव या लाभ पहुंचाने की संभावना खत्म हो जाए। डॉ. मिश्रा जिस अरबिंदो ग्रुप से जुड़े हुए हैं उसमें उनका फिजियोथैरेपी, मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेस का कॉलेज भी है। इस प्रकार सारे कोर्सेस की कॉपियों का वितरण और संचालन एक बार फिर उसी ग्रुप के प्रोफेसर के हाथ में आ गया है।
कॉलेज की तरफ से
मुझे नहीं पता कि डॉ. मिश्रा कैसे को-आॅर्डिनेट कर रहे थे। हमें लगा कि कॉलेज की तरफ से आए हैं।
- डॉ. अशेष तिवारी
परीक्षा नियंत्रक
यूनिवर्सिटी की तरफ से
हम समझे कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी होगी। वैसे उन्होंने मिनट्स पर साइन नहीं किए हैं।
- डॉ. देशराज जैन
प्रिंसिपल- गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज
मुझे नहीं पता
वे डिपार्टमेंट में किसी परीक्षा के सिलसिले में आए थे। एमडीएस की मीटिंग के बारे में कुछ पता नहीं।
- अजय वर्मा
उपकुलसचिव (गोपनीय)