02 May 2024, 03:30:10 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। रिटर्न में काली कमाई छिपाते आ रहे लोगों की धरपकड़ के लिए सेंट्रल बोर्ड आॅफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) निगरानी को तकनीकी रूप से मजबूत कर रहा है। इसके लिए प्रोजेक्ट इनसाइट तैयार किया जा रहा है, जिससे विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध जानकारी और दाखिल होने वाले रिटर्न के मिलान में आयकर को मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि तकनीकी निगरानी से सालाना 10 हजार करोड़ से अधिक की काली कमाई उजागर होगी।

हाल ही में इंस्टिट्यूट आॅफ चार्टर्ड अकाउंटेंट आॅफ इंडिया (आईसीएआई) के कार्यक्रम में प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर अबरार अहमद और वरिष्ठ कर सलाहकार मनोज गुप्ता ने प्रोजेक्ट इनसाइट की जानकारी दी थी। कर चोरों को पकड़ने और बेहिसाब काली कमाई खर्चने वालों की निगरानी के लिए बने एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) और नॉन फाइलर मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस) के साथ अब प्रोजेक्ट इनसाइट पर भी काम जारी है। इसके लिए हाल ही में सीबीडीटी और एलएंडटी इंफोटैक लि. के बीच अनुबंध हुआ है। एलएंडटी डेटा सेंटर बनाएगी। प्रोजेक्ट तीन चरणों में क्रियान्वित होगा। पहला चरण मई 2017 से शुरू होगा। तीसरा चरण 2018 तक पूरा होगा। प्रोजेक्ट के तहत गोदामों के इंटरप्राइज डेटा, डेटा माइनिंग, वेब माइनिंग, डेटा एक्सचेंज, मास्टर डेटा मैनेजमेंट, सेंट्रलाइज्ड डाटा प्रोसेसिंग पर काम होगा।

ऐसे काम करेगा सिस्टम
ल्ल संपत्ति को दो हिस्सों कम जोखिम और उच्च जोखिम में बांटा गया है, लेकिन भारी खरीद पर नजर होगी। इससे डिफाल्टरों को चिह्नित करना ज्यादा आसान हो जाएगा।
ल्ल प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार, कार डीलर, होटल के बड़े बिल, म्यूच्यूअल फंड से मिलने वाले लाभ, बोगस शेयर प्रॉफिट पर आईटी की नजर है। शॉपिंग मॉल में कैश खरीदी, कार्ड से खरीदी तक भी निगरानी में है।
ल्ल वित्तीय लेनदेन में बताए गए पैन पर नजर रखी जाएगी और आयकर फाइलिंग के साथ इनका मिलान किया जाएगा। इससे उन लोगों की पहचान आसान होगी जिनके पास एक से अधिक पैन हैं।
ल्ल विदेश जाने वालों का डेटा कलेक्ट किया जा रहा है, ताकि कोई विदेश यात्रा न छिपा सके।

आयकर की नई वर्किंग स्टाइल
डेटा माइनिंग : अलग-अलग जगह से प्राप्त होने वाली इन्फॉर्मेशन को सेंट्रलाइज किया जाता है।
डेटा एनालासिस : एकत्र इन्फॉर्मेशन का आईटीआर से मिलान किया जाता है, जिसे डेटा एनालिसिस कहते हैं।
एंटरप्राइज डेटा वेयरहाउस : फर्मों के लेन-देन की जानकारी जुटाने के लिए आयकर ने एंटरप्राइजेस डेटा वेअरहाउस बनाया है।
वेब माइनिंग : अलग-अलग वेबसाइट सर्च करके व्यक्ति या फर्मों की डिटेल निकाली जाती है।
डेटा एक्सचेंज : पुलिस, सीबीआई, वाणिज्यिक कर, कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स जैसे विभागों से डेटा एक्सचेंज के लिए रीजनल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस कमेटी (आरईआईसी)
बनी है।
एआईआर : दो लाख से अधिक के सभी बड़े वित्तीय लेन-देन या खरीद पर नजर। निवेश, बचत और खरीदारी की रिपोर्टिंग। इसे एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) कहते हैं। 271 एफए के तहत जुर्माना का प्रावधान भी है।
एनएमएस :  रिटर्न से परहेज करने वालों को चिह्नित करने के लिए बना है नॉन फाइलर मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस)।
टीसीएस : दो लाख रुपए से अधिक के नकद लेनदेन पर एक प्रतिशत टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) रुपए चुकाना होता है। 

परंपरागत तरीकों से आगे बढ़ा इनकम टैक्स
अब तक आपने जो रिटर्न दाखिल किए हैं, उनकी शंका के आधार पर स्क्रूटनी होती थी या फिर अति संदिग्ध मामलों को सर्च और सर्वे के लिए चिह्नित किया जाता था। अब कन्वेंशनल मोड छोड़कर इनकम टैक्स ने नए फॉर्मूले पर काम शुरू किया है, ताकि आईडीएस में डिक्लेरेशन करने वालों की संख्या बढ़ सके। जितना डेटा कलेक्ट होता है एनालिसिस के बाद उसमें से दो-तीन प्रतिशत लोग संदिग्ध निकलते हैं, जिन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
-मनोज पी. गुप्ता,
सीए

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