सुधीर शिंदे/अनिल धारवा इंदौर। प्रशासन ने सख्ती से रातोरात नौलखा बस स्टैंड से निजी बस आॅपरेटरों को बाहर कर दिया था। बस आॅपरेटर या व्यापारी अंदर न जा सकें, इसके लिए लोहे की चद्दर लगाने के साथ ही गहरी खाई तक खोद दी थी, लेकिन अब प्रशासनिक अफसरों ने वहां दो स्टैंड शुरू करने का मन बना लिया है।
दरअसल, गुपचुप तरीके से आईबसों का संचालन शुरू करने के बाद जिस प्रकार हटाए गए बस आॅपरेटरों ने पहले दिन विरोध तेज करने के साथ ही कोर्ट जाने की तैयारी की, उसे देख अफसर अपने हाथ बचाने के लिए तीन इमली चौराहा पर शिफ्ट की गई बसों के लिए नौलखा पिकअप स्टैंड बनाने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि पहले से चल रहे बस स्टैंड के लिए शासन ने 1992 में नोटिफिकेशन जारी किया था। ऐसे में आईबसों का संचालन पूरी तरह अवैध साबित हो गया। हालांकि पिकअप स्टैंड की अधिकारियों ने पुष्टि नहीं की है।
डेढ़ माह पहले हटाया था
जिला प्रशासन ने आसपास के रहवासियों की शिकायत, जाम की स्थिति और गुंडागर्दी का हवाला देकर यहां से चल रही 120 बसों को तीन इमली चौराहे पर शिफ्ट किया था। अब उसी स्टैंड से आईबस और सिटी बस स्टैंड का संचालन शुरू कर दिया, जबकि दोनों बसों का यहां से संचालन अवैध है।
ये आया सुझाव
जिला प्रशासन द्वारा आईबस शुरू करने के बाद बस आॅपरेटरों के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने प्रशासन को एक सुझाव दिया। इसमें नौलखा स्टैंड के आसपास की जमीन का उपयोग कर वहां बसों की पार्किंग के लिए स्थान निर्धारित कर एक ले- आउट भी सौंपा। कोडवानी के मुताबिक यदि सुझाव पर अमल होता है तो इससे निगम को हर साल चार करोड़ रुपए से ज्यादा का बस आॅपरेटरों से शुल्क मिल सकेगा।