गौरीशंकर दुबे इंदौर। चोरल से पिकनिक मनाकर लौट रहे एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और एमवायएच मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र झंवर की सतर्कता और अनुभव के दम पर सिमरोल जैसे गांव में कोबरा द्वारा डसे गए बुजुर्ग की जान बच गई।
रविवार शाम सात बजे डॉ. झंवर अपनी बेटी कौशिका के साथ पिकनिक मनाकर लौट रहे थे। सिमरोल में उन्होंने सड़क किनारे देखा कि एक बुजुर्ग अचेत पड़ा है। उन्होंने अनुमान लगाया कि हो न हो, यह सांप का डंसा है। जब उन्होंने बुजुर्ग का पैर देखा, तो सांप द्वारा दो जगह डंसने के निशान मिले। चूंकि बुजुर्ग अचेत अवस्था में थे, हाथ-पैर काम नहीं कर रहे थे और आंखें भी बंद थी, तो पता चल गया कि उन्हें कोबरा ने डंसा है। इंदौर लाकर उपचार की गुंजाइश नहीं थी, इसलिए डॉ. झंवर उस बुजुर्ग को गांववालों की सहायता से स्थानीय केएनडी अस्पताल ले गए। संयोग की बात रही कि सांप के डंसने पर जो पांच इंजेक्शन लगाए जाते हैं, वे इसी अस्पताल में मिल गए। एक घंटे के उपचार के बाद उन्हें होश आ गया। हाथ-पैर भी चलने लगे और आंखें भी खुल गईं। बुजुर्ग हुकमचंद ने बताया कि वे सड़क किनारे चल रहे थे, तभी एक लंबा और काला सांप उनके पैर के पास गुजरा और उन्हें कुछ चुभन हुई थी। उसके बाद क्या हुआ, उन्हें नहीं पता।
रोगी को सोने न दें...
अच्छी बात यह रही कि केएनडी अस्पताल में एंटी स्नेक इंजेक्शन मिल गया, अन्यथा इंदौर से लाते -लाते बहुत देर हो जाती, उनकी हालत में सुधार है। किसी भी व्यक्ति को अगर कोबरा या कोई और प्रजाति का सांप डंस लें, तो उसे सोने न दें। तब तक जगाए रखे, जब तक कि वह अस्पताल न पहुंच जाए। डंसने के एक घंटे के भीतर रोगी को बचाया जा सकता है।
-डॉ. धर्मेंद्र झंवर, एमवायएच इंदौर
न्यूरोंस खत्म करता है...
ब्लैक कोबरा जब डंसता है, तो पीड़ित के दिमाग के न्यूरोंस खत्म कर देता है। यानी वह मनुष्य के दिमाग पर प्रहार करता है। उसकी वजह से शरीर का नियंत्रण सिस्टम फेल हो जाता है। वह न आंख खोल पाता, न हाथ पैर चला पाता। दूसरे सांप डंसते हैं तो जहर पहले लाल रक्त कणिकाओं के द्वारा शरीर में जहर फैलाते हैं और सेल्स को नष्ट कर देते हैं। इसलिए कोबरा का डसे व्यक्ति के मरने के अवसर ज्यादा हो जाते हैं।
-डॉ. सद्दाम शाह, जूनियर डॉक्टर