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निजी काम से मना किया तो गाइड का पीएचडी कराने से इनकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 16 2016 10:00AM | Updated Date: Jul 16 2016 10:00AM
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रफी मोहम्मद शेख  इंदौर। इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी इंदौर (आईआईटी-आई) में सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीएचडी की एक छात्रा ने अपने गाइड पर आरोप लगाए हैं कि वह उन्हें निजी काम करने को कहते हैं। छात्रा के इससे इनकार करने पर उन्होंने उसके साथ बदसलूकी की और परेशान किया।

छात्रा ने गाइड पर मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक रूप से अपशब्दों का प्रयोग करने का भी आरोप लगाया है। छात्रा के अनुसार गाइड अब उसे पीएचडी नहीं करवा रहे हैं। उसने आईआईटी मैनेजमेंट को इसकी लिखित शिकायत की है, लेकिन इतने बड़े संस्थान में इस गंभीर मामले पर तत्काल कार्रवाई करने के बजाय इसे दबाया जा रहा है।

बेग पर आरोप
बॉयो साइंसेस एंड बॉयोमेडिकल इंजी. डिपार्टमेंट के अंतर्गत सीएसआईआर जूनियर रिसर्च फैलो के रूप में पिछले साल रजिस्टर्ड हुई छात्रा ने अपने को-गाइड डॉ. मिर्जा एस. बेग पर यह गंभीर आरोप लगाए हैं।

‘यहां नहीं मिलेगा दूसरा गाइड’

छात्रा ने कहा कि बेग ने उसे कोई दूसरा संस्थान और गाइड चुनने को कह दिया है। उन्होंने धमकी दी कि तुम्हें यहां पर कोई दूसरा गाइड नहीं मिलेगा। कहा कि पहले भी दो रिसर्चर को बाहर कर चुका हूं, किसी ने मुझसे नहीं पूछा कि क्यों किया। जब इस संबंध में छात्रा मुख्य गाइड डॉ. मोहम्मद मुबीन शेख से मिली, तो डॉ. बेग ने देख लिया। इसके बाद तो उनकी बदसलूकी बढ़ती गई और उन्होंने मुझे इंदौर की कोई और लैब चुनने को कहा। मैंने माफी भी मांगी लेकिन वो नहीं माने।

दूसरा भी कोई नहीं ले रहा
छात्रा ने शिकायत में लिखा है कि उसने अन्य गाइड से बात की तो वे उसे रखने के लिए राजी थे, लेकिन बाद में सभी ने पीएचडी करवाने से इनकार कर दिया। बेग ने डायरेक्टर द्वारा ऐसा नियम बनाने की जानकारी दी कि ग्रुप बदला नहीं जा सकता है। उसके बाद छात्रा ने मुख्य गाइड से बात की तो कुछ नहीं हुआ। उसने इसकी शिकायत एचओडी और डीपीजीसी कन्वीनर से की, तो उन्होंने नो आॅब्जर्वेशन सर्टिफिकेट लाने की बात कही।

कोई हल नहीं
जब छात्रा एनओसी लेने डॉ. शेख के पास पहुंची, तो उन्होंने शर्त रखी कि वो पहले डॉ. बेग के बारे में कोई भी नेगेटिव बातें नहीं लिखते हुए पॉजिटिव बातें लिखकर दे। उसने ऐसा किया भी पर कोई हल नहीं निकला।

शिकायत करना है या कमेटी बनवाना
इसके बाद छात्रा ने डीन - एकेडमिक अफेयर को पूरे मामले की शिकायत की तो उन्होंने उसके मामले में पीएचडी स्टूडेंट प्रोग्रेस कमेटी (पीएसपीएस) नहीं बनने का एक नया मामला उठा दिया। उन्होंने उसकी समस्या इस कमेटी के बनने के बाद ही हल करने की बात कही। छात्रा ने फिर से ई-मेल पर पूरे घटनाक्रम की जानकारी देकर कार्रवाई करने को कहा, तो उसे दो कमेटियों के सामने बुलाया गया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उल्टा एकेडमिक अफेयर के डीन ने छात्रा पर कमेटी बनाने या फिर शिकायतें करने में से ज्यादा आकर्षण किसमें होने की बात पूछ ली है।

कार्रवाई होनी चाहिए
मैं शादीशुदा हूं और कई सपने लेकर वैज्ञानिक बनने की कोशिश कर रही हूं। वर्तमान में मैं गहरे अवसाद, चिंता और परेशानी में घिरी हूं। मैं आईआईटी क्यों छोड़ूं? मैंने अपने को-गाइड की आक्रामकता व गुस्से का सामना किया है, जो बदसलूकी व मानसिक रूप से परेशानी में बदल गया है। यह प्रताड़ना का गंभीर प्रकरण है और मैं इस मामले में सीधे कार्रवाई चाहती हूं, जो नहीं की जा रही है।
- पीड़ित पीएचडी रिसर्च छात्रा
(इस संबंध में आईआईटी की पीआरओ वाणी वेंकट से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन काट दिया। एमएमएस का भी कोई जवाब नहीं दिया)

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