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एमपीपीएससी ने नहीं किया इंतजार, विवि ने अटकाया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 14 2016 10:53AM | Updated Date: Jul 14 2016 10:53AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। मध्यप्रदेश के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में एक ही पद यानी असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती पर दो गवर्नमेंट संस्थानों ने अलग-अलग रवैया अपनाया है। एक ओर मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा प्रदेश के गवर्नमेंट कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती पुराने नियमों के आधार पर की जा रही है तो यूनिवर्सिटी की भर्तियां नए नियम के कारण अटका दी गई हैं। दो महीने पहले यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा 2009 से पहले एमफिल या पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को कुछ शर्तों के साथ राहत दी गई हैं, लेकिन सरकार ने गजट नोटिफिकेशन निकालने के बाद भी अभी तक अपनी तरफ से कोई अधिकृत आदेश नहीं निकाला है। इसी कारण असमंजस की स्थिति पैदा हुई है।

इस नए नियम के कारण अटके हुए यह अभ्यर्थी अब कॉलेज और यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियों के लिए पात्र हो गए हैं। इसकी घोषणा तो पहले ही हो चुकी थी, लेकिन नोटिफिकेशन जारी नहीं होने से न तो यूनिवर्सिटी और न ही एमपीपीएससी ने इन अभ्यर्थियों को आवेदन करने की छूट दी थी।

नहीं किया मान्य
प्रदेश के गवर्नमेंट कॉलेजों में एमपीपीएससी के माध्यम से हो रही भर्तियों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में 2009 के पहले पीएचडी में रजिस्टर्ड अभ्यर्थियों को मान्य नहीं किया है। आयोग ने साफ कर दिया था कि यूजीसी भले ही कोई नए नियम बना दे, लेकिन जब तक प्रदेश सरकार इन नियमों को हरी झंडी नहीं देती है और उन्हें आदेशित नहीं करती है वो इसे मान्य नहीं करेंगे। इसी कारण उन्होंने इन्हें छूट देने से इनकार कर दिया था। अब पीएससी ने भर्तियों के लिए अगस्त में लिखित परीक्षा की तारीखें भी घोषित कर दी हैं।

यूनिवर्सिटी ने दी हरी झंडी
उधर, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने 25 टीचिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर, एसोसिएशन प्रोफेसर (रीडर) और असिस्टेंट प्रोफेसर (लेक्चरार) के 170 पदों पर यह नियुक्तियां होना है। शासन की स्वीकृति के बाद स्कूल आॅफ एजुकेशन, आईएमएस, स्कूल आॅफ फिजिक्स, लाइफ साइंस, आईईटी और आईआईपीएस में पद निकाले गए हैं। इसमें पहले आवेदन की आखिरी तारीख 2 मई रखी गई थी, जिसे नियमों के फेर में बढ़ाकर 22 मई किया गया था। यह तारीख निकल जाने के बाद अब यूनिवर्सिटी ने इस प्रक्रिया को ही रद्द करने का तैयारी कर ली है। इसके पीछे कारण नए नियम हैं। यूनिवर्सिटी के अनुसार जब यूजीसी ने नियमों में बदलाव कर दिया है तो उन्हें भी करना होगा। अब इसके लिए फिर से विज्ञापन निकालना पड़ेगा।

यह किया है बदलाव
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 11 जुलाई 2009 से पहले एमफिल और पीएचडी प्राप्त करने वाले या इसमें रजिस्ट्रेशन करवाने वाले उम्मीदवारों के पक्ष में फैसला लिया गया था। एमफिल-पीएचडी नियुक्ति अधिनियम 2009 में तीसरा संशोधन करते हुए यूजीसी ने इन्हें कॉलेज या यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिए अनिवार्य नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी नेट या स्लेट (स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट) उतीर्ण होने से छूट दे दी है। इनके लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में ऐसे पुराने नियम लागू होंगे, जो उस समय लागू किए गए थे। इसके लिए यूजीसी ने 4 मई को बाकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसमें पीएचडी की डिग्री को पांच शर्तें पूरी करना जरूरी किया गया है।

आदेश के कारण असमंजस
वास्तव में जब भी यूजीसी भर्ती प्रक्रिया में नए नियम बनाता है तो उच्च शिक्षा विभाग उसमें परिवर्तन करता है, लेकिन प्रदेश में ऐसा नहीं किया गया है। इससे ही असमजंस की स्थिति बन गई है। एक ओर एमपीपीएससी आदेश नहीं होने के कारण इसे नहीं मान रहा है तो दूसरी ओर यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर ही नए नियमों को मान्य करने की तैयारी कर रही है। यानी एक प्रदेश में एक पद पर भर्ती के लिए अलग-अलग नियम लागू होंगे। उधर, अभ्यर्थियों ने शासन से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने की मांग उठाई है।

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