विनोद शर्मा इंदौर। सवा सौ करोड़ की धोखाधड़ी का केंद्र बनी सैटेलाइट हिल्स के खिलाफ तेजाजी नगर पुलिस के बाद अब लोकायुक्त पुलिस ने भी छानबीन शुरू कर दी है। खबर है कि लोकायुक्त पुलिस ने कॉलोनाइजरों की मनमानी और प्रशासनिक सांठगांठ के प्रमाण भी जुटा लिए हैं। छानबीन का मुख्य बिंदु बिना काम के एसडीएम कार्यालय से जारी हुआ कॉलोनी का पूर्णता प्रमाण-पत्र है, जिसके साथ धरोहर के 191 प्लॉट मुक्त कर दिए गए थे। तेजाजी नगर पुलिस और लोकायुक्त की पहल पर ही नगर निगम स्तर पर कॉलोनी की जांच जारी है।
मामला नायता मुंडला में 37.66 एकड़ जमीन पर आधी-अधूरी खड़ी सैटेलाइट हिल्स का है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने 20 जुलाई 2007 को कॉलोनी का ले-आउट मंजूर किया था। विकास होने से पहले कॉलोनी की जमीन बेच दी गई। तभी से कॉलोनाइजरों के खिलाफ शिकायतों का दौर जारी है। 27 दिसंबर 2014 को तेजाजी नगर पुलिस ने दो केस दर्ज किए। इन्वेस्टिगेशन शुरू की। कॉलोनी जब विकसित हुई थी, तब नायता मुंडला पंचायत क्षेत्र था। 2014 में जब पुलिस ने जांच शुरू की, तब तक गांव निगम सीमा में शामिल हो चुका था और फाइलें भी एसडीएम आॅफिस/पंचायत से नगर निगम की कॉलोनी सेल जा चुकी थीं, इसलिए तेजाजी नगर पुलिस ने सारा पत्राचार निगम की कॉलोनी सेल से ही किया। इसी बीच लोकायुक्त ने अक्टूबर 2015 में नगर निगम को पत्र लिखा और कॉलोनी के पूर्णता प्रमाण-पत्र की जानकारी मांगी।
लोकायुक्त ने मांगी जानकारी
शिकायत मिलते ही लोकायुक्त ने 20 अक्टूबर 2015 को नगर निगम के नाम पत्र लिखा और सैटेलाइट हिल्स में हुए विकास कार्य व पूर्णता प्रमाण-पत्र की वास्तविकता जांचने की बात कही। 9 फरवरी 2016 को भी पत्र लिखा गया। 2 फरवरी 2016 को तेजाजी नगर पुलिस ने पत्र लिखा और विकास कार्यों की मैदानी जांच की मांग की। दोनों पत्रों के आधार पर उपयंत्री स्तर के अधिकारी को कॉलोनी सेल ने जांच की जिम्मेदारी दी। उपयंत्री ने रिपोर्ट दी मार्च 2016 में। 27 मई 2016 को तेजाजी नगर पुलिस ने रिपोर्ट की कॉपी मांगी। बीते दिनों निगम ने दोनों जांच एजेंसियों को कॉलोनी की मैदानी हकीकत की रिपोर्ट सौंप दी।
तब जाकर हुई गिरफ्तारी
जून के अंतिम सप्ताह में तेजाजी नगर पुलिस ने नीतेश चुघ और मुकेश टेकचंद वाधवानी को गिरफ्तार किया था। पुलिस की जांच कॉलोनी के कई कर्ताधर्ताओं के इर्द-गिर्द घूम रही है। वहीं लोकायुक्त भी दस्तावेजी रूप से घेराबंदी की तैयारी में है।
शिकायत लेकर पहुंचे नीलेश को तोमर ने लौटाया
एक तरफ कैलोदहाला की फिनिक्स टाउनशिप के खिलाफ क्राइम ब्रांच की सख्त जांच और कार्रवाई दूसरी तरफ सैटेलाइट हिल्स को लेकर तेजाजी नगर पुलिस और लोकायुक्त की सख्ती। इन सबसे अपने कारिंदों और परिवार को बचाने के लिए नीलेश अजमेरा केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर के दिल्ली स्थित निवास पहुंचा। वहां नीलेश ने अपने नाम की पर्ची दी और मंत्रीजी से मिलने की इच्छा जताई। कारण के रूप में बताया कि डीआईजी संतोषकुमार सिंह इंदौर की मनमानी को लेकर बात करना है। इस पर तोमर ने यह कहते हुए पर्ची वापस कर दी कि वे आपसे नहीं मिल सकते।
चंपू को लेकर चुप्पी, चिराग से पूछताछ जारी
इंदौर। फिनिक्स देवकॉन प्रा.लि. मामले में क्राइम ब्रांच द्वारा भूमाफिया चिराग शाह, पवन अजमेरा, निकुल कपासी, मनीष पंवार सहित 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद सोमवार को भी कुछ नई शिकायतें पुलिस के पास पहुंची हैं। ये शिकायतें प्लॉटों का आधिपत्य न मिलने, डेवलपमेंट नहीं करने, आवंटित प्लॉट दूसरो को देने आदि की हैं। खास बात यह कि आरोपी चंपू अजमेरा के रविवार को बैंगलुरु में पकड़े जाने की पुष्टि अधिकारियों ने नहीं की और न ही कुछ करने की स्थिति में हैं। जानकारी के मुताबिक चंपू को टेक्निकल बिंदुओं पर तफ्तीश कर पकड़ा गया और पकड़ने वाली टीम भी लौट आई है। तेजाजी नगर पुलिस को भी सैटेलाइट टाउनशिप मामले में उसकी तलाश थी। इनके सहित उस पर अन्य केस भी दर्ज हैं, जिनमें करोड़ों की धोखाधड़ी की गई। उधर, अन्य आरोपी चिराग शाह, निकुल कपासी और मनीष पवार से रिमांड अवधि में पूछताछ जारी है। ये 7 जुलाई तक रिमांड पर हैं। चिराग ने गड़बड़ियों को लेकर चंपू के खिलाफ और भी सूत्र दिए हैं। अन्य आरोपियों में चंपू की पत्नी सहित कर्मचारी, किसान आदि हैं। हालांकि पुलिस ने अभी इनके नामों का खुलासा नहीं किया, लेकिन जल्द ही इनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी।