विनोद शर्मा इंदौर। भू-माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। इसीलिए ज्योति नगर हाउसिंग सोसायटी और श्रीमाल होल्डिंग कंपनी के प्रमुखों ने लाखों की लागत से बनी आईडीए की सड़क उखाड़कर फेंक दी और जिनकी जिम्मेदारी थी वे अफसर तमाशा देखते रहे। न्यायालय अपर तहसीलदार ने हिम्मत की और कब्जेदारों को कारण बताओ नोटिस भी थमाया, लेकिन जवाब आने से पहले ही अपर तहसीलदार का तबादला हो गया। इसीलिए बाद में किसी ने मामले में दखल देने की हिम्मत नहीं की।
मामला तेजपुर गड़बड़ी का है। यहां सर्वे नं. 308/2 और 308/5 पर वर्षों पुराना रास्ता था। रास्ते के एक तरफ कतारबद्ध पेड़ थे, तो दूसरी तरफ बिजली के खंभे। पार्षद रहे दिलीप सुरागे की मांग पर एबी रोड से गुजर रही मेनलाइन से नर्मदा परियोजना के अधिकारियों ने छह इंच का कनेक्शन इसी सड़क के समानांतर पाइप डालकर मार्तंडनगर तक पहुंचाया गया था। मार्तंडनगर बस्ती, ट्रेजर टाउन, निहालपुर मुंडी और बिजलपुर के रहवासियों की वर्षों से चली आ रही मांग, तत्कालीन विधायक लक्ष्मणसिंह गौड़ के प्रयास और कलेक्टर इंदौर की पहल पर 10 मार्च 2004 को आईडीए ने आश्रय निधि के तहत रास्ते को सड़क बनाने की तैयारी की। अप्रैल 2005 में ठेका मिला था मंत्री कॉन्ट्रेक्टर प्रा.लि. को। कंपनी ने 630 फीट लंबी और 20 फीट चौड़ी रोड बनाई। दोनों तरफ फुटपाथ की जमीन भी छोड़ दी गई। सड़क 2010 तक रही। 2011 में ज्योति गृह निर्माण संस्था के संचालकों ने इस सड़क को उखाड़ फेंका।
चौतरफा बंद कर दी सड़क
सड़क के दोनों मुहानों को दीवार उठाकर बंद कर दिया गया है। वहीं बीच वाले हिस्से में पेड़ काटकर पटक दिए हैं। संस्था ने अपनी जमीन खोदकर मिट्टी एबी रोड के किनारे पटक दी, ताकि पुराने रास्ते तक कोई आ-जा न सके।
निकाल दिया नया रास्ता
संस्था ने 630 फीट लंबा रास्ता बंद करके सर्वे नंबर सात और आठ की जमीन से 270 फीट लंबी और 15 फीट चौड़ी नई सड़क निकाल दी। 27 जुलाई 2015 को दिए एक जवाब में आईडीए ने स्वीकारा कि जो 150 मीटर लंबा रोड बनाया था, उसे क्षतिग्रस्त कर दिया है। क्षतिग्रस्त सड़क के पास नई सड़क बनी है, जो न प्राधिकरण ने बनाई और न ही प्राधिकरण को उसकी जानकारी है।
क्या है संस्था का फायदा
सड़क के दोनों तरफ संस्था की जमीन है। सर्वे नं. 304/1/1, 304/4, 304/6/मिन-1, 305/1/मिन-1, 306/1/मिन-1, 307/1, 307/3/1/मिन-1, 307/4/1/मिन-1, 307/5/मिन-1, 307/6 पैकी. 308/2/मिन-1 308/4/पै, 308/5/पै ज्योति नगर गृह निर्माण सहकारी संस्था की है। सर्वे नं. 307/8/1, 308/2/2 308/3/2, 308/4/2, 308/5/2 की जमीन 284-285 साकेत नगर निवासी पवन पिता किरणमल श्रीमाल की है। पेशे से एडवोकेट और उद्योगपति श्रीमाल भी ज्योति नगर संस्था में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विशेष दर्जा रखते हैं। जिस सड़क को बंद किया, उसका कुल क्षेत्रफल था करीब 25 वर्ग फीट, जबकि जो नई सड़क निकाली है, उसका क्षेत्रफल है 4050 वर्ग फीट। फायदा सीधे 21 हजार वर्ग फीट का जिसकी बाजार कीमत चार करोड़ 20 लाख।
बेखौफ हैं भू-माफिया
सड़क बनने से 310 और उससे लगे सर्वे की जमीन तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। सर्वे नं. 310 के मालिक 80 विष्णुपुरी निवासी बलजीतसिंह साहनी है। साहनी का साफ कहना है कि हाउसिंग सोसायटी की आड़ में जमीन का खेल पवन श्रीमाल, प्रहलाद नीमा, प्रेम चौहान, गिरधारी नीमा खेल रहे हैं। जिस सड़क को अपनी जमीन पर बनी बताकर उखाड़ा गया है असल में वह पुराना रास्ता है। 1960 की हमारी रजिस्ट्री में भी इस रास्ते का जिक्र है। बाद में राजस्व अधिकारियों को खरीदकर इन्होंने रिकॉर्ड से सड़क गायब करवाई। अब तकलीफ यह है कि मैं या अन्य किसान जमीन तक कैसे पहुंचे।
देते हैं जान से मारने की धौंस
एक अन्य किसान देवराज राठौर ने कहा कि चौतरफा घेराबंदी कर दी है। हमारी जमीन तक पहुंचने की जगह नहीं छोड़ी। निकलों तो भू-माफियाओं के गुंडे जान से मारने की धमकी देते हैं।
अधिकारी बिक गए
जब में पार्षद था तब सड़क तोड़ी गई थी। मैंने और क्षेत्रवासियों ने इसका पुरजोर विरोध किया, लेकिन भू-माफियाओं के हाथों बिक चुके अधिकारियों ने मैदान में झांककर तक नहीं देखा। रास्ता पुराना था। मैं छोटा था तब से इससे आता-जाता था।
दिलीप सुरागे, पूर्व पार्षद