कृष्णपाल सिंह इंदौर। नेहलानी परिवार की कहानी उन हिंदी फिल्मों की तरह है, जिनका मुखिया भ्रष्टाचारियों के खिलाफ होता है, लेकिन टूटकर जीवनलीला समाप्त कर लेता है। नगर निगम के सब इंजीनियर नरेश नेहलानी आत्महत्या कांड का मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। वहीं दूसरी ओर उनका परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस वजह से उनके बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ चुका है, क्योंकि परिवार उनकी शिक्षा पूरी कर सकने में असमर्थ है।
अपने पूर्व कर्मचारी के परिवार की यह दशा देख निगम कमिश्नर मनीष सिंह ने पहल की। मदद की गुहार लेकर पहुंचीं स्वर्गीय नेहलानी की पत्नी भावना को देखकर उनका दिल पसीज गया। उन्होंने तत्काल नेहलानी के बेटे दक्ष और बेटी मोनिका की पढ़ाई की व्यवस्था की और कामना की कि वे भी अपने पिता की तरह ऐसे इंसान बनें, जो अन्याय के खिलाफ झुके नहीं।
ऐसे बदल गई बच्चों की जिंदगी
कमिश्नर सिंह बुधवार दोपहर 1.10 बजे नगर निगम स्थित कैबिन में जनसमस्याएं सुन रहे थे। तभी उन्होंने स्वर्गीय नेहलानी की पत्नी भावना को 16 वर्षीय बेटी मोनिका (कक्षा 11वीं) के साथ देखा। अभिवादन के बाद उन्होंने उनसे पूछा, कोई समस्या बहनजी?
तब सुखलिया निवासी भावना की आंखों में आंसू आ गए। चेहरे पर जिंदगी की परेशानियां दिखने लगीं। भरे गले से बहुत ताकत लगाने के बाद उन्होंने कहा, भाई साहब सवाल बच्चों की पढ़ाई पर आ गया है। उनका सपना था कि दोनों अच्छे स्कूलों में पढ़ें, लेकिन उनके जाने के बाद स्कूल की फीस नहीं भर पा रही हूं। इतना सुनकर सिंह ने तत्काल एडवांस एकेडमी के संचालक को फोन कर कहा कि दक्ष हमारे निष्ठावान साथी स्वर्गीय नेहलानी का बेटा है। इसकी फीस माफ कर दें। ऐसा ही फोन उन्होंने गुजराती स्कूल में मोनिका के लिए लगाया और कहा कि आपको किसी भी तरह की दिक्कत हो तो आप नि:संकोच निगम दफ्तर आएं। मैं न भी मिलूं, तो मेरे पीए केएल शर्मा को समस्या बताएं, मैं यथासंभव निदान करूंगा। सिंह से श्रीमती नेहलानी ने निवेदन किया कि बेटी को अनुकंपा नियुक्ति दिला दी जाए, तो सिंह ने कहा, अभी वह 16 साल की है। दो साल बाद निश्चित रूप से उसे अनुकंपा नियुक्ति मिल जाएगी। आप आवेदन दे दें, यदि दो साल बाद मैं इंदौर में नहीं भी रहा, तो आपका काम हो जाएगा। करीब 10 मिनट के इस घटनाक्रम के बाद श्रीमती नेहलानी और उनकी बेटी खुशी-खुशी घर लौटीं।