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बालू रेती की जगह काली चूरी से बना रहे बिल्डिंगो

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 23 2016 9:52AM | Updated Date: Jun 23 2016 9:52AM
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अनिल धारवा इंदौर। पीपल्याहाना तालाब की जमीन पर आकार ले रही नई कोर्ट बिल्डिंग में सीवरेज और तालाब की जमीन के विवाद की फेहरिस्त में एक और नया विवाद जुड़ गया है। महंगी होती बालू रेती की जगह डस्ट (काली चूरी) का उपयोग किया जा रहा है। इसे लेकर पीडब्ल्यूडी ने आपत्ति जताकर निर्माण करने वाली एजेंसी दिलीप बिल्डकॉन को पत्र भी लिखा है।

इसमें साफ लिखा है कि केवल दीवारों की चुनाई, फर्श और अन्य कामों में ही इसका उपयोग होना है। कंपनी उस सामग्री का उपयोग कर रही है, जिसका निविदा में उल्लेख नहीं है। इस कारण कंसल्टेंट टीम ने भी आपत्ति जताकर दिखावे के लिए ली जा रही अनुमति पर ब्रेक लगा दिया है। मामले में उक्त कंपनी सहित पीडब्ल्यूडी को भी अवगत करा दिया है।

शुरू से ही विवादों में
वैसे यह बिल्डिंग शुरू से विवादों में रही है। पीपल्याहाना तालाब के एरिया में नई जिला कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद से तालाब को बचाने के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता व रहवासी आगे आए। वकीलों द्वारा भी बिल्डिंग निर्माण का विरोध किया जा रहा है। हाल ही में आईडीए और पीडब्ल्यूडी के बीच सीवरेज लाइन को लेकर भी नया विवाद सामने आया है।

यह लिखा पत्र
आरएस सोमानी कंसल्टेंट टीम के लीडर ने लोनिवि की पीआईयू शाखा को पत्र लिखा है कि निर्माण कार्य में कांक्रीट सहित अन्य सभी काम में नेचुरल सेंड (बालू रेती) की जगह क्रास्ड स्टोन सेंड (काली चूरी ) का उपयोग करना निविदा शर्तों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि दिलीप बिल्डकॉन ने क्रास्ड स्टोन सेंड का उपयोग करने की अनुमति मांगी, लेकिन टीम ने साफ कर दिया है कि निविदा में सिर्फ दीवारों की चुनाई, फ्लोरिंग आदि में ही इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा इन सामग्री के स्थान पर आईएसआई के प्रावधानों के अनुसार मैन्युफैक्चर्ड सेंड का उपयोग किया जाए।

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