कृष्णपाल सिंह इंदौर। शहर में भीषण जलसंकट बना हुआ है। जनता की प्यास बुझाने के लिए नर्मदा का पर्याप्त पानी इंदौर तो पहुंचता है, लेकिन घरों तक नहीं पहुंच रहा है। इस कारण टैंकरों की मांग में अचानक तेजी आई है। पानी के लिए जनता दो से पांच हजार रुपए तक चुका रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि टैंकर माफियाओं को बढ़ावा देने के लिए किस तरह का षड्यंत्र रचा गया है।
टंकियों को दो से तीन मीटर भरने में ही पानी खत्म हो जाता है, जबकि नर्मदा का 340 से 350 एमएलडी पानी इंदौर पहुंच रहा है, रास्ते में बंट रहा है वो अलग। शहर में कुल 420 से 430 एमएलडी पानी है। ऐसे में शहर की प्यास बुझाने के लिए निगम से साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि 230 निजी टैंकरों पर खर्च कर दी है, लेकिन फिर भी शहर प्यासा है। विशेषज्ञों की मानें तो टैंकर माफियाओं के साथ निगम अफसरों ने सांठगांठ कर ली है, ताकि टैंकरों की संख्या में लगातार इजाफा होता रहे और ‘कमाई’ आती रहे।
यह है पानी की स्थिति
नर्मदा प्रथम व द्वितीय 135 एमएलडी
(रास्ते में बंटता 45 एमएलडी)
नर्मदा तृतीय चरण 260 एमएलडी
इंदौर आता नर्मदा 350 एमएलडी
बोरिंग की मदद से 60 से 70 एमएलडी
तालाबों की मदद से 15 व 03 एमएलडी
शहर में पानी 420 से 430 एमएलडी
निगम से किराया भी और जनता से पैसा भी
सुबह से शाम तक दौड़ रहे यह टैंकर हाईड्रेंड से पानी भरकर सप्लाय का दावा करते हैं। इसमें पानी भी भरते हैं, लेकिन रास्ते में उसका सौदा बाले-बाले ऊंचे दाम पर कर देते हैं। मतलब, निगम से किराया भी लो और जनता से पैसा भी लो। हर तरफ से टैंकर माफिया पैसा कमा रहे हैं। पानी का संकट बताकर ये शहर को लूटने में लगे हैं। मल्टियों में एक-एक घर से तीन-तीन हजार रुपए पानी के लिए मेंटेनेंस की अतिरिक्त राशि वसूली जाने लगी है।
पैदा कर रहे जलसंकट
शहर में नर्मदा की 62 टंकियों से पानी सप्लाय होता है। इसमें हर टंकी की क्षमता पांच से सात मीटर तक है, लेकिन टंकियों को दो से तीन मीटर तक भरा जा रहा है। कारण ‘जलसकंट’ पैदा होगा तो टैंकर दौड़ेंगे... जिसमें मोटा मुनाफा होगा...। कहीं न कहीं भीषण जलसंकट पैदा कर ‘माफियाओं’ को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इससे निगम के जिम्मेदारों पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। ू
पानी पर विशेष ध्यान
पानी सप्लाय पर विशेष ध्यान दिया। नर्मदा के पानी से टंकियां भराने के साथ ही डिस्ट्रीब्यूशन पर भी ध्यान दिया। बोरिंग की मोटरों का मेंटेनेंस व नए हाईट्रेंड तैयार किए गए। इसके अलावा जिन स्थानों पर नर्मदा लाइन नहीं थी, वहां निगम टैंकरों से पूर्ति की गई।
-कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व महापौर
प्लानिंग में जुटे हैं
पानी को लेकर पूरी प्लानिंग करने में जुटे हैं, ताकि जनता को परेशानी न हो। मैं अभी तो कुछ भी नहीं बोल सकता हूं, लेकिन जल्द ही नतीजे सामने होंगे।
-मनीषसिंह,
कमिश्नर, नगर निगम
टंकियों को भर रहे हैं
नर्मदा के तीनों चरण से पानी आ रहा है। इससे हम टंकियों को भर भी रहे हैं। कुछ टंकियां खाली रह जाती हैं, जिसे बाद में भरने की कोशिश करते हैं। यशवंत सागर से 15 एमएलडी पानी कम मिल रहा है इसलिए इन टंकियों को भरना पड़ता है। इसके अलावा डायरेक्ट सप्लाय भी कर रहे हैं।
-संजीव श्रीवास्तव,
कार्यपालन यंत्री, नर्मदा प्रोजेक्ट
कमी पर तो दौड़ेंगे टैंकर
शहर में पर्याप्त पानी आ रहा है, लेकिन जनता तक नहीं पहुंच रहा है। इसके पीछे अफसरों की मिलीभगत लगती है। क्योंकि पानी की कमी होगी तो ही टैंकर दौड़ेंगे। मैं शुरुआत से ही पानी को लेकर आपत्ति दर्ज करा रहा हूं कि अधिकारी मिलीभगत से चोरी करवा रहे हैं।
-किशोर कोडवानी,
याचिकाकर्ता व समाजसेवी