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अब इंजीनियरिग कॉलेजों में पढ़ा सकेंगे नॉन बीई ग्रेजुएट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 18 2016 10:57AM | Updated Date: Jun 18 2016 10:57AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब पढ़ाने के लिए एमसीए, एमएससी जैसी कम्प्यूटर और अन्य विषयों की ग्रेजुएशन योग्यता को कुछ शर्तों के साथ मान्य कर दिया गया है।

आॅल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने छह साल से लगी ये रोक हटा ली है। एआईसीटीई ने इसके लिए पोस्ट ग्रेजुएट या पीएच-डी होने की शर्त लगाई है। पूर्व में लिए गए नियम के कारण इन कॉलेजों से ग्रेजुएशन में एमसीए और एमएससी करने वाले प्रोफेसर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।

इन कॉलेजों में केवल बीई करने वालों को ही मान्य किया गया था। एआईसीटीई की अपेक्स कमेटी ने 22 फरवरी 2016 को इसका निर्णय लिया था। इसके बाद अब इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इससे नया निर्णय लागू हो गया है। इससे उन हजारों कम्प्यूटर ग्रेजुएट्स को फायदा होगा, जो अब तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने के लिए योग्य नहीं माने जा रहे थे।

एमएससी वाले भी मान्य
नए नियम के अनुसार एआईसीटीई ने 13 मार्च 2010 के अपने गजट नोटिफिकेशन वाले निर्णय में बदलाव कर दिया है। अब एमसीए के साथ ही एमएससी कम्प्यूटर साइंस (सीएस) व इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) को योग्यता में शामिल कर लिया गया है। एमई के साथ ही फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और अलाइड विषयों में एमएससी करने वालों को भी मान्य कर लिया गया है। इससे बीई के कम्प्यूटर कोर्सेस में एमसीए वालों को मान्यता मिल गई है।

2010 के पहले की शर्त
नए नोटिफिकेशन में एआईसीटीई ने इसके लिए शर्त रखी है कि अभ्यर्थी ने एमसीए सहित एमएससी के कोर्स या तो 13 मार्च 2010 के गजट नोटिफिकेशन के पहले पूरे कर लिए हों या इस तारीख के पहले कोर्स में एडमिशन ले लिया हो। यानी इस तारीख के बाद इस कोर्स में रजिस्टर्ड अभ्यर्थी अब भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने के योग्य नहीं रहेंगे। अभी भी कई कॉलेजों में ऐसे प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं, जिन पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। कई को इस शर्त के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।

पीजी होना भी जरूरी
इसके साथ ही एआईसीटीई ने एक और शर्त लगाई कि इन अभ्यर्थियों या प्रोफेसर्स को पोस्ट ग्रेजुएट होना भी जरूरी होगा। इसमें पीएच-डी को भी मान्य कर दिया है। वहीं, एमटेक की डिग्री को भी मान्यता दी गई है। इससे एमएससी या एमसीए के बाद एमटेक करने वाले अभ्यर्थियों को इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने की अनुमति मिल जाएगी। अभी इन कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएशन में बीई को ही मान्य किया जा रहा है। पूर्व में एमसीए या एमएससी के बाद एमटेक हो सकता था, लेकिन अब इसे मान्य नहीं किया जा रहा है।

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