रफी मोहम्मद शेख इंदौर। बिहार में बोर्ड की परीक्षाओं में मेरिट पर आए विद्यार्थियों का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। यहां पर विभिन्न फैकल्टी में मेरिट में आए विद्यार्थियों की कॉपियां रद्दी में बेच दी जाती है, जबकि नियमानुसार इन्हें अन्य विद्यार्थियों को दिखाने के लिए लाइब्रेरी में रखना चाहिए। कई सालों से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उधर, कुलपति अभी सिस्टम ही बिगड़ा हुआ बता रहे हैं।
यूनिवर्सिटी में जो परीक्षा का अधिनियम बनाया गया है उसमें साफ उल्लेख है कि मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों की कॉपियों को नष्ट नहीं किया जाएगा। इनकी कॉपियां को संरक्षित कर अलग से रखा जाएगा और मूल्यांकन सेंटर से इन्हें लाइब्रेरी में सुरक्षित भेजा जाएगा। इनकी कॉपियां अन्य विद्यार्थी देखकर प्रेरित होंगे और उनके जैसा लिखना व बनने की कोशिश करेंगे।
रद्दी में बेच देते हैं..
वर्तमान में यूनिवर्सिटी में इस नियम को ताक में रखा गया है। मेरिट के विद्यार्थियों की कॉपियां अलग से निकाली ही नहीं जाती और छह माह बाद रद्दी के साथ बेचा जाता है। इससे इसमें होने वाली गलती या फर्जीवाड़े को भी कोई नहीं देख रहा है और न ही विद्यार्थियों को प्रेरणा मिल रही है। सीबीएसई से लेकर एमपी बोर्ड और दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर जयपुर यूनिवर्सिटी तक एक कदम आगे बढ़कर इन विद्यार्थियों की कॉपियां वेबसाइट पर अपलोड कर देती है। इसका फायदा सभी को मिलता ही है, साथ ही कोई आशंका भी नहीं रहती है।
पहले भेजी जाती थी..
कुछ साल पहले यह कॉपियां बाकायदा लाइब्रेरी में भेजी जाती थी, जहां कोई भी विद्यार्थी देख सकता था। धीरे-धीरे यह प्रक्रिया ही समाप्त कर दी गई। वहीं, प्रचार-प्रसार नहीं होने से लाइब्रेरी में भी कॉपियां रद्दी की तरह पड़ी रहती थी। अब न तो मूल्यांकन सेंटर को इसकी फिक्र है और न ही लाइब्रेरी को। अंदर की बात यह है कि मूल्यांकन सेंटर को इन कॉपियों में गलती मिलने पर अपनी किरकिरी होने का डर रहता है। इस कारण वो योजना को आगे ही नहीं बढ़ाना चाहती। अब बिहार में स्कूल के फर्जीवाड़े के उजागर होने पर यह बात फिर से सामने आई है।
एवरेज की मेरिट लिस्ट
यूनिवर्सिटी में सालभर में पढ़ने वाले करीब पौने दो लाख विद्यार्थी साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स, लॉ, एजुकेशन, मैनेजमेंट, कम्प्यूटर सहित कई अन्य फैकल्टी में पढ़ते हैं। यूनिवर्सिटी हर सेमेस्टर के बाद इनकी मेरिट लिस्ट घोषित करती है, जो टॉप टेन विद्यार्थियों की होती है। सामान्यत: फाइनल ईयर में यह लिस्ट घोषित होती है, जो तीन साल का एवरेज होती है।
अभी तो सिस्टम बिगड़ा है..
अभी तो सिस्टम समझ रहा हूं। यहां सिस्टम बिगड़ा हुआ है और धीरे-धीरे ही इसे ठीक किया जाएगा। इसके लिए भी पहल की जाएगी।
- नरेंद्र धाकड़, कुलपति
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी