राहुल सेठी इंदौर। इन दिनों कलेक्टोरेट में अनुसूचित जनजातियों के प्रमाण-पत्र बनाना काफी परेशानी भरा साबित हो रहा है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक जाति विशेष के छात्र-छात्राओं के प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहे। हालांकि पूर्व में ऐसी कोई समस्या नहीं थी, लेकिन जब से यह प्रक्रिया आॅनलाइन हुई, तब से उक्त जाति वाले विद्यार्थी परेशान हैं।
प्रदेश की मान्य अनुसूचित जनजातियों वाले फोल्डर के क्रमांक 20 में पांच समाजों का उल्लेख किया गया है, जिनमें एक छतरी समाज है। अब तक इसके जाति प्रमाण-पत्र इसी आधार पर बनते आए, लेकिन लोक सेवा आयोग के आॅनलाइन पोर्टल में इसे चत्री कर दिया गया। इसके चलते इस समाज के व्यक्ति द्वारा प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन करने पर वह निरस्त हो जाता है, जबकि चत्री लिखने वालों के प्रमाण-पत्र बन रहे हैं।
असमंजस में छात्र-छात्राएं
छतरी और चत्री के फेर में समाज के छात्र-छात्राएं इसलिए परेशान हैं, क्योंकि उनके पुराने दस्तावेजों में छतरी ही उल्लेखित है। अब यदि वे नए दस्तावेज में चत्री लिखवाएंगे तो पुराने फर्जी साबित होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। वहीं प्रमाण-पत्र न बनवाने पर शासकीय सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
शिकायत का नहीं असर
समाज की ओर से कलेक्टोरेट, लोक सेवा आयोग के साथ सीएम हेल्पलाइन तक शिकायत की गई, लेकिन एक वर्ष से समस्या यथावत है।
समस्या हल नहीं कर रहे
कई मर्तबा मामले में शिकायत की, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसे सुधारा नहीं गया। इस कारण समाज के सैकड़ों छात्र-छात्राएं परेशान हैं।
-शुभम पंवार, पीड़ित, सांईबाबा नगर
भोपाल से ही होगा सुधार
शिकायत मिली है। अंग्रेजी में तो यह सही है, लेकिन हिंदी पोर्टल में चत्री आ रहा है। सॉफ्टवेयर का संचालन भोपाल से होता है, इसलिए हमने वहां अवगत करा दिया है।
-संदीप सोनी, एसडीएम