26 Apr 2024, 10:01:55 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रफी मोहम्मद शेख इंदौर। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 2016-17 सत्र के लिए कॉलेजों की मान्यता को लेकर की गई सख्ती में अचानक आई नरमी का मुख्य कारण यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा जारी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के नए नियम हैं। कॉलेज संचालकों ने इन नियमों को आधार बनाकर अधिकारियों से गुहार लगाई कि उन्हें छूट दी जाना चाहिए। इस आधार पर एडमिशन शुरू होने के ऐन मौके पर प्रदेश के 80 कॉलेजों को मान्यता जारी कर दी गई। हालांकि उन्हें तीन महीने में कॉलेज कोड 28 में नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए हैं।

जानकारी के अनुसार जैसे ही यूजीसी ने भर्ती नियमों में बदलाव किया, मान्यता नहीं पाने वाले कॉलेज संचालक भोपाल पहुंचे और अधिकारियों से मान्यता देने की मांग की। उनका कहना था कि पुराने और कड़े नियमों के कारण ही कॉलेजों में कोड 28 के अंतर्गत नियुक्तियां नहीं हो पा रहीं। नेट की अर्हता प्राप्त अभ्यर्थी ही नहीं मिल रहे और मिल भी रहे तो कम वेतन में काम करने के लिए राजी नहीं। नए नियमों में मिली छूट से अब अभ्यर्थी मिलना आसान हो जाएगा।

वरना विद्यार्थियों को कर देंगे शिफ्ट

शर्त रखी गई है कि कॉलेज अपने यहां तीन महीने में ये नियुक्तियां कर सूचित करेंगे, अन्यथा मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। साथ ही इन कॉलेजों में भर्ती विद्यार्थियों को दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट करने की मंशा भी साफ जाहिर की गई है। इन नियुक्तियों की जिम्मेदारी संबंधित विवि को दी गई है। 80 में से  देअविवि के अंतर्गत 20 कॉलेज शामिल हैं, जिन्हें मान्यता मिली।

यह मिली है छूट
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने कॉलेज और विवि में नियुक्त होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएचडी के साथ ही नेट अनिवार्य किया था। यूजीसी ने यह नियम जुलाई 2009 में जारी किए थे। इसी महीने 4 मई को जारी नए नियम में अब 2009 के पहले रजिस्टर्ड अभ्यर्थियों के लिए पांच शर्तों के साथ नेट की अनिवार्यता खत्म कर दी, जिससे सारे समीकरण बदल गए। वास्तव में कॉलेज कोड 28 में नियुक्ति के नियम यूजीसी अधिनियम 2009 के अंतर्गत माने जाते हैं। इसके बाद नए नियमों में रजिस्टर्ड हुए पीएचडीधारकों को तो नेट की छूट दी गई है, लेकिन 2009 के पूर्व पंजीकृत विद्यार्थियों की पीएचडी को अमान्य कर दिया गया।

बाकी को कर दिया अमान्य
इस बार उच्च शिक्षा विभाग ने जनवरी से ही मान्यता के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। आॅनलाइन आवेदन मंगवाने के बाद कमियों के आधार पर प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। इनमें नए के साथ वे कॉलेज भी हैं, जो पहले से चल रहे हैं और उनके कोर्सेस को अगले साल का एफिलिएशन दिया जाना है। देअविवि के अंतर्गत करीब 52 कॉलेजों ने इसके लिए आवेदन किया था, लेकिन पहली स्टेज में एक को भी मान्यता नहीं मिली। दूसरी स्टेज में 11 और उसके बाद आठ अन्य को मान्य किया गया। अब 20 और को हरी झंडी मिली है। बाकी बचे कॉलेजों को बिल्डिंग नहीं होना, खेल मैदान व लाइब्रेरी सहित अन्य कमियों के कारण मान्यता नहीं मिली।

इंदौर के कई कॉलेज
सशर्त मान्यता की लिस्ट में इंदौर के कई कॉलेज हैं। इनमें अरिहंत, आॅल्टियस, इंस्टिट्यूट आॅफ यूनिवर्सल स्टडीज, रेनेसां, प्रेस्टीज मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, चोइथराम, लिबरल, इल्वा, महाराजा रणजीतसिंह, जैन दिवाकर, आॅक्सफोर्ड इंस्टिट्यूट, सेंट्रल और सिका कॉलेज शामिल हैं। वहीं विवि के अंतर्गत विवेकानंद कॉलेज बुरहानपुर, रेवा गुर्जर कॉलेज सनावद, रेणुका इंस्टिट्यूट बड़वानी, साईबाबा कॉलेज खकनार-बुरहानपुर को भी मान्यता दे दी गई है।

अपने आप निरस्त हो जाएगी मान्यता

नए कॉलेजों को सशर्त मान्यता दी गई है। इन्हें तीन महीने में अपने यहां पर कॉलेज कोड 28 के अंतर्गत नियुक्तियां करना होंगी। अन्यथा मान्यता निरस्त हो जाएगी।
-डॉ. आरएस वर्मा, अतिरिक्त संचालक, इंदौर संभाग,
उच्च शिक्षा विभाग

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