सुधीर शिंदे इंदौर। ड्रग ट्रायल में फंसे डॉ. रामगुलाम राजदान सालों से मेंटल अस्पताल के अधीक्षक हैं, फिर भी राज्य सरकार ने निजी ड्रग कंपनियों के दबाव में तीन माह पहले उन्हें एमवायएच की बागडोर सौंप दी। उन्होंने चार्ज भी ले लिया, लेकिन निजी प्रैक्टिस का मोह नहीं छोड़ा है। यही कारण है कि डॉ. राजदान एमवायएच और मेंटल अस्पताल पर ध्यान देने के बजाए बंगाली चौराहा पर लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में स्थित अपने क्लिनिक में ज्यादा समय बिता रहे हैं।
इस कारण दोनों ही अस्पतालों की व्यवस्थाएं चौपट हो गई हैं। न तो मरीजों को देखा जा रहा है और न ही इलाज के लिए डॉक्टरों को पर्याप्त संसाधन मिल रहे हैं। इधर, राज्य सरकार का नियम है कि डीएमई, डीन, अधीक्षक या फिर संचालनालय में प्रशासनिक पदों पर आने के बाद डॉक्टर निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते।
बिगड़ी व्यवस्था निरंकुश स्टाफ
अधीक्षक के गैर जिम्मेदारीपूर्ण रवैये की वजह से अस्पताल का हर स्टाफ निरंकुश हो गया है। न तो डॉक्टर वार्ड का राउंड ले रहे हैं और न नर्सिंग स्टाफ समय पर आ रहा है। सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई है। कायाकल्प पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद अस्पताल की स्थिति पहले जैसी ही हो रही है। मरीज को ओपीडी से वार्डों तक पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर और व्हीलचेयर भी परिजन को ही ले जाना पड़ रही है।
दूसरे डॉक्टरों को सौंप दी जिम्मेदारी
निजी प्रैक्टिस प्रभावित न हो इसके लिए डॉ. राजदान ने दोनों अस्पतालों की अपनी जिम्मेदारी डॉ. विजय अग्रवाल व अन्य डॉक्टरों को सौंप दी। इसके बाद से ही न तो वे डॉक्टरों के फोन उठाते हैं और न ही प्रशासनिक अधिकारियों के। इसे लेकर कई डॉक्टरों ने डीन के साथ ही डीएमई को भी शिकायत कर दी।
पहले दिन से ही विवादित
ड्रग ट्रायल के मामले में डॉ. राजदान पर गंभीर आरोप हैं। कुछ महीने पहले डीएमई डॉ. जीएस पटेल अन्य आरोपी डॉक्टरों के साथ उनके बयान लेने इंदौर आए थे, लेकिन दूसरे डॉक्टरों ने तो बयान दर्ज करा दिए, लेकिन राजदान नहीं पहुंचे। इसे लेकर डॉ. पटेल ने उन्हें कड़ी फटकार भी लगाई थी। हालांकि बाद में उन्होंने भोपाल जाकर बयान दर्ज करवाए थे।
इसलिए लगाया था मीडिया पर प्रतिबंध
राजदान के जिम्मेदारी संभालने के बाद से लगातार अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं का मीडिया में खुलासा हुआ। इसके चलते दो दिन पहले उन्होंने मीडिया के प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन हर स्तर पर हुए विरोध के बाद उन्हें प्रतिबंध का आदेशा वापस लेना पड़ा।
क्लिनिक हर दिन, मेंटल अस्पताल में एक बार
डॉ. राजदान जहां क्लिनिक पर हर दिन लंबा वक्त बिता रहे हैं, वहीं सूत्रों के मुताबिक कुछ माह से बाणगंगा स्थित मेंटल अस्पताल में महीने में एक ही बार पहुंचे हैं। वहां से कई कामों के लिए कर्मचारियों को एमवायएच के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं।
ड्यूटी का खेल चरम पर अन्य स्टाफ नाराज
सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ समय से डॉ. राजदान के इशारे पर अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर नर्सिंग स्टाफ को उनके मनमाफिक विभाग या ओपीडी में ड्यूटी लगाने का बड़ा खेल चल रहा है। इसे लेकर अन्य नर्सिंग स्टाफ में काफी नाराजगी है।
दो अस्पतालों की जिम्मेदारी है। निजी प्रैक्टिस नहीं करना चाहिए। मैं इस मामले की जानकारी लूंगा।
- डॉ. जीएस पटेल, डीएमई, भोपाल