कृष्णपाल सिंह इंदौर। नौ साल बाद भी बीआरटीएस अधूरा है... 22 से ज्यादा अतिक्रमण... लेफ्ट टर्न अधूरे पड़े हैं... सड़कें उखड़ रहीं हैं... टूटे-फूटे खंभे और लाइटें... दम तोड़ते हरियाली के दावे... इसी बीआरटीएस को सौगात बताकर शहर की जनता को छला गया था... लोगों ने इसके निर्माण के दौरान तमाम परेशानी झेली... और अब जब थोड़ी राहत मिली तो फिर नौटंकी शुरू हो गई... खबर है कि शिवाजी वाटिका पर अंडर पास और फ्लायओवर बनाया जाएगा, ताकि बीआरटीएस में बरती गई लापरवाही पर पर्दा पड़ सके और एक बार फिर ‘कमीशनखोरी’ का खेल खेला जा सके... जिस तरह से बीआरटीएस प्रोजेक्ट की लागत 90 करोड़ से बढ़कर 225 करोड़ रुपए कर दी गई थी... ठीक उसी तरह अब जनता के मेहनत के पैसे को फ्लायओवर में लगाया जाएगा... विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किए बिना इसे जनता के माथे थोपने की तैयारी है।
14 चौराहों पर दिनभर गाड़ियों की रहती है रेलमपेल
बीआरटीएस के शिवाजी वाटिका चौराहे पर बनने वाले फ्लायओवर पर 130 करोड़ रुपए खर्च होने के आसार हैं, जबकि इसकी 11.4 किलोमीटर लंबाई में कुल 14 चौराहे आते हैं यानी सभी पर फ्लायओवर बने तो संभावित लागत 1820 करोड़ रुपए आएगी। गौरतलब है कि इन 14 चौराहों में भंवरकुआं, गीताभवन, पलासिया, विजय नगर सहित अन्य चौराहे शामिल हैं, जहां दिनभर गाड़ियों की रेलमपेल रहती है। दूसरी ओर बीआरटीएस पर बस लेन के चलते करीब 45 प्रतिशत रोड खाली पड़ी रहती है। अगर बीआरटीएस की रेलिंग को हटा दिया जाए तो काफी हद तक समस्या का समाधान किया जा सकता है।
56 लेफ्ट टर्न कैसे और कब सुधारेंगे
ये सवाल हैं सामने...
एक अंडर पास और ब्रिज बनाने में तीन साल लगेंगे तो 14 चौराहे पर ब्रिज बनाने में कितने साल?
किस चौराहे पर ट्रैफिक की ज्यादा समस्या है या जाम लगता है... इसका कोई आकलन क्यों नहीं किया गया?
ट्रैफिक के जानकार और पुलिस की सलाह क्यों नहीं ली गई।
फ्लायओवर जैसे प्रोजेक्ट पर मोटा खर्च करने की योजना है, जिसका सीधा असर आम जनता से जुड़े दूसरे विकास कार्यों पर पड़ेगा?
11.4 किमी में पड़ने वाले 14 चौराहों पर फ्लायओवर बनाने में 1820 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि खर्च होगी।
एक चौराहे पर चार लेफ्ट टर्न हैं तो 14 चौराहे पर 56 लेफ्ट टर्न कैसे और कब सुधारेंगे?
लेफ्ट टर्न अभी तक क्यों नहीं सुधारे... अगर इन्हें सुधार लिया जाए तो ट्रैफिक की सच्ची तस्वीर सामने आ सकती है।
पीडब्ल्यूडी ने भी बनाया था फ्लाय ओवर का प्लान
आईडीए ने शिवाजी वाटिका के जिस फ्लाय ओवर निर्माण को लेकर सर्वे कराया है, उसका प्लान पीडब्ल्यूडी पहले ही बनाकर मंजूरी के लिए भोपाल भिजवा चुका है। प्लान के मुताबिक फ्लाय ओवर करीब आधा किमी लंबा और करीब 10 मीटर चौड़ा बनने वाला था। इधर, ब्रिज बनाने को लेकर आईडीए ने बाजी मार ली। पदाधिकारियों ने ब्रिज के प्रेजेंटेशन में महापौर, विधायक और कलेक्टर को भी बुलाया था। सभी ने इसमें अपनी औपचारिक सहमति दी है।
एक माह प्रयोग करके देखें, शायद हल हो जाए
बीआरटीएस पर यदि प्रयोग के तौर पर एक माह के लिए सभी निजी वाहनों को बस लेन में आने-जाने की अनुमति दे दी जाए, तो ट्रैफिक जाम की समस्या सुलझ सकती है। बीआरटीएस पर 30 बसें 50 हजार यात्रियों को लेकर रोज चलती हैं, इसके बावजूद बस लेन प्राय: खाली पड़ी रहती है। इस मुफ्त के प्रयोग को करने के बजाए आईडीए फ्लायओवर इत्यादि बनाने में सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रहा है। इसके पीछे के उद्देश्य का खुलासा होना चाहिए। बेहतर है कि बीआरटीएस के कर्ताधर्ता पहले विशेषज्ञों के साथ मंथन कर लें और फिर कोई फैसला करें। बीमारी क्या है और इलाज क्या किया जाना है... यह साफ होना चाहिए।
- किशोर कोडवानी, याचिकाकर्ता व समाजसेवी
कोई भी निर्णय टुकड़ों में करना ठीक नहीं
बीआरटीएस पर ट्रैफिक का श्वेत पत्र तैयार किया जाना चाहिए, ताकि स्थिति का सटीक आकलन किया जा सके। कोई भी निर्णय टुकड़ों-टुकड़ों में करना ठीक नहीं है। सही वजह है कि बाद में जनता को परेशान होना पड़ता है। अगर कोई प्लान है तो उसकी पूरी स्टडी होना चाहिए और फिर उसकी उपयोगिता देखी जानी चाहिए। पलासिया और विजयनगर सहित कुछ अन्य चौराहों पर ट्रैफिक की ज्यादा परेशानी है, इसीलिए समस्याग्रस्त पॉइंट्स को दुरुस्त करने का फैसला लेना चाहिए। अभी तो लेफ्ट टर्न चौड़ा करके देखें, उसके बाद पता चलेगा कि यातायात सुगम हुआ या नहीं। किसी की मनमर्जी से कुछ भी नहीं होना चाहिए।
- अतुल सेठ, इंजीनियर