रफी मोहम्मद शेख इंदौर। कॉलेजों में कार्यरत महिला प्रोफेसर्स को दिए जाने वाले संतान पालन अवकाश के नियमों को कड़ा कर दिया गया है। अब यह अवकाश सीधे उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ही स्वीकृत करेंगे और अवकाश पर जाने वाले प्रोफेसर का पद उसी कॉलेज में सुरक्षित रहने की गारंटी भी नहीं रहेगी। इसके लिए शर्तें भी निर्धारित की गई हैं।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नए दिशा-निर्देशों में साफ किया गया है कि जिस महिला प्रोफेसर का संतान पालन अवकाश स्वीकृत किया जाएगा, उनका तत्कालीन पद रिक्त मान लिया जाएगा। इसके बाद अवकाश से आने पर उनकी पदस्थापना प्रदेश के किसी भी कॉलेज में रिक्त पद पर की जाएगी। कॉलेज प्रिंसिपल और अतिरिक्त संचालक को यह प्रमाणित भी करना होगा कि अवकाश देने पर विद्यार्थियों का शैक्षणिक कार्य प्रभावित नहीं होगा।
एक विषय में केवल एक
नियमों में साफ किया गया है कि यह अवकाश किसी भी जिले के सारे कॉलेजों को मिलाकर एक विषय में केवल एक को ही मिलेगा। इसके साथ ही पूरे जिले में अधिकतम 10 प्रतिशत महिला अभ्यर्थियों को ही उनकी प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किया जाएगा। किसी भी स्थिति में एक समय में और डिपार्टमेंट में अधिकतम संख्या 10 से ज्यादा नहीं होगी। इसकी प्राथमिकता तय करने के लिए तीन महीने के प्रकरण एक साथ एकत्रित किए जाएंगे और उस आधार पर प्राथमिकता देखी जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता
प्राथमिकता के अन्य बिंदुओं के साथ ही यह भी तय किया गया है कि सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ को इसे स्वीकृत किया जाए। इसके बाद तहसील क्षेत्र, जिला मुख्यालय और गैर राजभोगी शहर की वरीयता क्रम को निश्चित किया गया है। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर जैसे राजभोगी शहर के कॉलेजों में यह अवकाश सबसे अंत में दिया जाएगा। अगर किसी स्तर पर किसी विषय में अवकाश मांगने वाली प्रोफेसरों की संख्या अधिक होगी तो जिनके बच्चों की उम्र कम होगी, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी।
सबसे पहले विकलांग-बीमार
उच्च शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि इस अवकाश को अधिकार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने जो वरीयता निश्चित की है, उसमें जिन महिलाओं के बच्चे विकलांग या गंभीर बीमार हैं, उन्हें सबसे पहले मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने पर प्राथमिकता दी जाएगी। उसके बाद परित्यक्ता, विधवा, तलाकशुदा, विकलांग या जिनके पति पदस्थापना स्थल से अन्यत्र कार्यरत हों, उनका नंबर आएगा। इसके बाद जिनके पति टर्मिनल या गंभीर बीमारी से ग्रसित होंगे, वे मेरिट
में आएंगे।