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तीन घंटी के बाद ही उठाएं मोबाइल फोन कम नुकसान होगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 20 2015 3:05AM | Updated Date: Apr 20 2015 3:05AM
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मुनीष शर्मा
 
इंदौर। आपकी जेब में रखा मोबाइल कितना रेडिएश फैला रहा है, वो आपके लिए कितना हानिकारक है यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां खड़े होकर बात कर रहे हैं। मतलब यदि ऐसी जगह हैं जहां नेटवर्क कमजोर है तो फिर आपका मोबाइल जमकर रेडिएशन फैकेंगा। हां, मोबाइल इंस्ट्रूमेंट की क्वालिटी और मोबाइल प्रोवाइडर कंपनी के नेटवर्क का भी कम-ज्यादा रेडिएश में अहम रोल है। कुछ कंपनियों के मोबाइल कमजोर नेटवर्क में भी कम रेडिएशन देते हैं। यह जरूर है कि फोन बजते ही रेडिएशन की मात्रा ज्यादा रहती है लेकिन दो-तीन घंटी के बाद लगभग हर मोबाइल का रेडिएशन कम हो जाता है। मतलब, कॉल आए तो तीन-चार घंटी के बाद ही उठाएं।
 
 
ये सच आया सामने
ये बातें एक सर्वे में सामने आई है, जो जर्मनी के रेडिएशन मापने वाले उपकरण ‘ट्रोटेक बीआर 15’ से पता किया जा रहा है। यह यंत्र मोबाइल फोन, मोबाइल टॉवर तथा माइक्रोवेव ओवन से निकलने वाले रेडिएशन को जांचने के लिए ही बनाया है। ‘दबंग दुनिया’ ने सर्वे में पाया हर कंपनी का मोबाइल प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग रेडिएशन दे रहा है। यह तब और कम-ज्यादा हो रहा है जब मोबाइल या दूरसंचार कंपनी बदल रही हो। दो अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल भी यही बात सामने आई। दोनों ही मोबाइल में एक ही कंपनी की सिम लगी थी।
 
 
अलग-अलग रेडिएशन मिले
जीपीओ चौराहे पर नोकिया ल्यूमिया-530 से रेडिएशन की मात्रा अधिकतम 8 एसएआर थी, जबकि केसरबाग ब्रिज के पास यह घटकर 4 पर आ गई। सोनी एक्सपीरिया से निकलने वाला रेडिएशन दोनों ही स्थानों पर अधिकतम . 22 ही रहा। नोकिया आशा में एक ही स्थान (केसरबाग) पर अलग-अलग कंपनियों की सिम लगाने पर रेडिएशन में असमानता मिली। बीएसएनएल की सिम से अधिकतम रेडिएशन 8.89 निकला। आइडिया की सिम से अधिकतम रेडिएशन 3.26 निकला। इसी तरह केसरबाग पर माइक्रोमेक्स (केनवास सीडीएमए) में रिलायंस की सिम लगाने पर अधिकतम रेडिएशन .01 आया लेकिन बीएसएनएल की सिम लगाने पर 4.30 निकला। ये हुआ उस एरिया में लगे टॉवर के कारण। इसमें किसी कंपनी के इंस्ट्रूमेंट का कोई दोष नहीं है।
 
 
1.6 से ज्यादा एसएआर खतरनाक
एसएआर (स्पेसिफिक अब्सॉर्प्शन रेट) का मतलब विशिष्ट अवशोषण दर होता है। प्रत्येक मोबाइल के साथ कंपनी एसएआर दर भी देती है। मोबाइल से 1.6 से ज्यादा एसएआर निकलना खतरनाक माना जाता है जबकि मोबाइल टॉवर से निकलने वाला रेडिएशन .45 से ज्यादा नहीं
होना चाहिए। शहर में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां टॉवर से निकलने वाला रेडिएशन सामान्य से काफी ज्यादा है। बजरंग नगर पुलिया पर रेडिएशन 2.6 तक पाया गया।
 
 
कोर्ट जाएंगे
रेडिएशन से कैंसर तक हो जाता है। सर्वे का हमारा लक्ष्य जागरूकता लाना है। मोबाइल टॉवर लगने से जो रेडिएशन फैल रहा है उसकी जानकारी सरकार तक पहुंचाना है। कार्रवाई नहीं होगी तब हम मय सबूत के साथ कोर्ट जाएंगे।
- शिवाकांत वाजपेयी, सदस्य, भारतीय
विकिरण संरक्षण परिषद, मुंबई (जिन्होंने सर्वे
किया।)
 
 
हो सकता है ट्यूमर
मोबाइल पर ज्यादा बात करने से ट्यूमर हो सकता है। मोबाइल से इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन निकलता है जो सुनने वाली नस पर सीधा असर करता है। सुनाई भी कम देने के साथ ही याददाश्त भी कम होने लगती है। मोबाइल कान पर लगाने के बजाय हेडफोन का उपयोग ज्यादा अच्छा रहता है।
- डॉ. दीपक कुलकर्णी, सीनियर न्यूरो सर्जन
 
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