रफी मोहम्मद शेख
इंदौर। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा देशभर के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने की मुहिम में इस साल प्रदेश के कॉलेज शामिल नहीं होंगे। हालांकि यह विवि में चलने वाले विभिन्न कोर्सेस में शुरू हो जाएगा। विवि के प्रोफेशनल कोर्सेस के सामने कॉलेजों के परंपरागत कोर्सेस में आने वाली विभिन्न समस्याओं के चलते ऐसा हो रहा है। पहले इन्हें विवि के साथ कॉलेजों में भी लागू करने की बात सामने आ रही थी। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की पहल के बाद सभी विवि के टीचिंग डिपार्टमेंट्स में तो इसे इसी साल से लागू किया जा रहा है। यूजीसी द्वारा ग्रांट नहीं देने की चेतावनी के चलते यह जरूरी है, लेकिन यह सिस्टम विवि के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में शुरू नहीं किया जा सकेगा। यानी अब विवि और कॉलेज में अलग-अलग अंक पद्धति पर परीक्षाएं और पढ़ाई होगी।
ये समस्याएं आएंगी
कॉलेज केवल बड़े शहरों ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे नगरों में हैं, जिनमें कनेक्टिविटी तक नहीं।
अधिकांश कॉलेजों में बहुत कम और रेग्युलर कोर्सेस ही चलते हैं।
वैकल्पिक विषयों का चुनाव कैसे किया जा सकेगा।
परंपरागत बीए व बीकॉम जैसे कोर्सेस के विद्यार्थियों के लिए यह बिलकुल नई पद्धति होगी।
अभी योजना कहीं भी लागू नहीं, इसलिए पहले परीक्षण जरूरी है।
कॉलेजों में अभी चल रहे कोर्सेस के लिए ही पर्याप्त फैकल्टी नहीं हैं तो फिर नए विषयों के लिए नियुक्ति कहां से होगी।
कोर्सेस के नए पाठ्यक्रम एक साथ बदलना होंगे, जो संभव नहीं है।
कॉलेजों का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी नया करना होगा।
यूजीसी इस मामले में नरम
जानकारी के अनुसार कॉलेजों में इसे लागू करने के मामले में यूजीसी का रुख नरम है। उसने देशभर में सीबीसीएस लागू करने के लिए विवि की अलग-अलग कॉन्फ्रेंस में सैद्धांतिक रूप से यह स्वीकारा कि विवि अपने स्तर पर यह सिस्टम लागू कर सकता है, लेकिन उसके अंतर्गत आने वाले कॉलेज प्रदेश सरकारों के अंतर्गत और उसके नियमों के आधार पर चलते हैं, इसलिए वहां सीधे इसे लागू करने के लिए नहीं कह सकते। विवि ने राज्य सरकारों से बात करने की सलाह भी दी है।
अभी केवल कमेटी बनी
सीबीसीएस के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक कमेटी गठित की है, लेकिन उसकी केवल एक ही बैठक हो पाई। वह कब विचार कर अनुशंसाएं करेगी और उन पर कब अमल होगा, यह निश्चित नहीं है। अभी तो विवि में इसे कैसे लागू किया जाएगा, इस पर भी संशय है।
प्रोफेशनल कोर्सेस ज्यादा
विवि के कई डिपार्टमेंट पहले से ऐसे सिस्टम में कार्य शुरू कर चुके हैं। देअविवि में भी एमटेक में पिछले सत्र से ही यह सिस्टम शुरू कर दिया गया। इसके अलावा विवि में चलने वाले अधिकांश कोर्सेस प्रोफेशनल और सेमेस्टर सिस्टम पर आधारित हैं, लिहाजा वहां इसे लागू करने में कोई बड़ी परेशानी नहीं आएगी। वहीं इसके अंतर्गत चलने वाले कॉलेजों और दूरदराज स्थित कॉलेजों में जहां सेमेस्टर सिस्टम ही पटरी पर नहीं आ पा रहा तो नया सिस्टम लागू करना और भी ज्यादा परेशानी पैदा कर सकता है।
कमेटी की रिपोर्ट पर होगा तय
प्रदेश के कॉलेजों में सीबीसीएस लागू किया जाए या नहीं, इस पर विचार चल रहा है। हमने शिक्षाविदों की एक कमेटी बनाई है, जो इस पर मंथन कर रिपोर्ट देगी। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
-उमाशंकर गुप्ता, उच्च शिक्षामंत्री