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मालिनी गौड़ के नाम पर होने लगा लाभ-हानि का हिसाब

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 28 2019 11:45AM | Updated Date: Mar 28 2019 11:45AM
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- केपी सिंह 
इंदौर। इंदौर से लोकसभा उम्मीदवार को लेकर पेंच फंसा हुआ है। यहां से दिल्ली के बीच मेयर मालिनी गौड़ का नाम तेजी से उभकर सामने आया है। इसकी वजह बतौर मेयर रहते उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को एक मिशन के तौर पर लिया और इंदौर को स्वच्छता में हैट्रिक लगाकर देश का नंबर वन शहर बनाए रखा। इसलिए इन्हें बड़ा दावेदार माना जा रहा है। 
 
इसके साथ ही राजनीतिक हलकों में मेयर गौड़ को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। उन्हें लेकर लाभ-हानि की बातें भी राजनीतिक गलियारों में चल रही हैं। इसमें कुछ पार्टीजन उन्हें अच्छा उम्मीदवार मान रहे हैं तो कुछ लोग उनकी कमजोरी बताकर सवाल खड़े कर रहे हैं। इससे यह बात तो तय है कि इंदौर से उम्मीदवार का नाम बड़े मंथन के बाद ही निकलेगा। 
 
ये हैं उपलब्धि
1. - मेयर के तौर पर सफाई के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान में इंदौर को मॉडल के रूप में तैयार कराया। साथ ही अधिकारियों को फ्री हैंड दिए, जिसका नतीजा रहा कि सफाई में तीन बार इंदौर का नाम देश-दुनिया में रोशन हुआ और अब सम्मान मिला है।
2. - उन पर एक भी दाग नहीं है। उनकी साफ-सुथरी छवि से विपक्ष बुरी तरह बौखलाया हुआ है कि किसी तरह से गलियारा तलाशकर घेराव किया जाए, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। 
3. - वे किसी विवाद में नहीं पड़ती हैं और तीन बार की विधायक भी हैं। विधानसभा चार को बीजेपी का गढ़ बनाए रखा। 
4. - शहर विकास में गुंडों के अशियाने तोड़ने से लेकर पशुओं को शहरी सीमा से खदेड़ने के लिए पशुपालकों के अवैध साम्राज्य को ध्वस्त कराया गया। 
5. - स्मार्ट सिटी के रूप में विधायक तीन व चार के 742 एकड़ का चयन जनता की मदद से कराया और ऐतिहासिक धरोहर के जीर्णोद्धार से लेकर संकरी गलियों को सड़कों में तब्दील कराया, जिसका लाभ लाखों लोगों को मिल रहा है। बतौर मेयर जो ठान लिया, उसे हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे अक्सर परदे के पीछे रहती हैं। 
 
ये हैं खामियां
1. - बतौर मेयर गांव में कोई पहचान नहीं है। वे शहर की नेता हैं। 
2. - उनके कार्यकाल में विकास कार्यों का बड़ा हिस्सा चार नंबर में गुजरा है। विधानसभा पांच और एक के विकास कार्यों में ज्यादा नहीं दिखीं। 
3. - पार्टी के ही मजबूत धड़े (क्षेत्र क्रंमाक 2) से राजनीतिक कटुता। 
4. - परिवार, सलाहकारों और आसपास के कुछ लोगों के कारण मेयर की व्यक्तिगत छवि पर आंच आई है। 
5. - बतौर मेयर रहते बीच में कुछ माह सांसद सुमित्रा महाजन से भी दूरियां बढ़ गई थीं। 
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